Monday, July 13, 2009

निश्चित विनाश की तरफ बढ़ रही है मानव सभ्यता !

लंदन [जोनाथन ओवेन]। मौसम में आ रहे बदलाव और ग्लोबल वार्मिग को लेकर दुनिया के विकसित या विकासशील देश बातें चाहे जितनी कर लें, चाहे जितनी योजनाएं बना लें, सच्चाई ये है कि हम धीरे-धीरे अपने निश्चित विनाश की तरफ बढ़ रहे हैं। इस बात की भी आशंका है कि अगले कुछ सालों में दीर्घकालिक विकास के बगैर अरबों लोग गरीबी की चपेट में आ जाएंगे। कई सभ्यताएं नष्ट हो जाएंगी।

धरती का भयानक भविष्य बताने वाली सबसे बड़ी रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट के निष्कर्षो से दुनिया के कुछ प्रमुख संस्थानों यूनेस्को, व‌र्ल्ड बैंक, द यूएस आर्मी और राकफेलर फाउंडेशन ने सहमति भी जताई है। '2009 स्टेट आफ द फ्यूचर' नाम की यह रिपोर्ट 67 सौ पन्नों की है और इसमें दुनिया के 2700 विशेषज्ञों ने योगदान दिया है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने निष्कर्षो को संयुक्त राष्ट्र, उसके सदस्य देशों व समाज के भविष्य के लिए बहुमूल्य बताया।

रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण है दुनिया के गरीब लोगों पर आर्थिक मंदी के प्रभाव का विश्लेषण करना। शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मंदी के कारण ऊर्जा, भोजन की उपलब्धता तथा लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है। कई लालची और भ्रामक फैसलों ने दुनिया को आर्थिक मंदी की जाल में फंसा दिया। साथ ही इसने आर्थिक व नैतिक दृष्टि से दुनिया के सभी देशों की परस्पर निर्भरता को भी सामने ला दिया।

हालांकि पिछले बीस साले से ज्यादातर समय दुनिया का भविष्य बेहतर नजर आ रहा था। लेकिन आर्थिक मंदी ने अगले दस वर्षो के लिए सभी देशों का भविष्य सूचकांक धड़ाम कर दिया। आधी दुनिया को बेरोजगारी के कारण हिंसा व अशांति के साथ पानी की कमी, भोजन की अनुपलब्धता, कम ऊर्जा उत्पादन और बदलते मौसम के प्रभाव का सामना करना पड़ेगा।

मिलेनियम प्रोजेक्ट द्वारा प्रस्तुत इस रिपोर्ट में पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दों को भी उठाया गया है। इसमें मौसम के कारण हो रहे बदलावों से लेकर रोजगार में कमी व लुप्त होते देशों के बारे में बताया गया है। हालांकि लेखकों ने यह राय भी दी है कि ये मुश्किलें हमें भविष्य में ज्यादा शक्तिशाली बनाएंगी। सबसे अच्छी बात ये है कि आर्थिक मंदी और मौसम में आ रहा बदलाव स्वार्थी और स्वकेंद्रित लोगों को जिम्मेदारी ग्लोबल नागरिक बना रहा है। कई का मानना है कि वर्तमान आर्थिक संकट ने अगली पीढ़ी में ग्रीनर टेक्नोलाजी [वैकल्पिक ऊर्जा, बायो फ्यूल आदि] की आदत और उसके प्रति समझ विकसित करने का बेहतरीन अवसर मुहैया कराया है। आर्थिक और विकास के बारे में दोबारा और नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हम वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर लगातार तरक्की कर रहे हैं। कंप्यूटर बनाने वाली दुनिया की प्रमुख कंपनी आईबीएम ने वादा किया है कि 2011 तक वह ऐसा कंप्यूटर बना देगी जो प्रति सेकेंड बीस हजार खरब गणना करेगा। यह क्षमता मानव मस्तिष्क के बराबर है।

वेब की तारीफ करते हुए इसे ग्लोबलाइजेशन, आर्थिक वृद्धि और शिक्षा का सबसे शक्तिशाली साधन बताया गया है। रिपोर्ट में मौसम में आ रहे बदलाव के प्रभाव को बेहद खतरनाक बताया गया है। 2025 तक तीन अरब से ज्यादा लोग पीने के पानी से महरूम होंगे। बड़ी संख्या में शहरीकरण, जंगलों की कटाई और सीमित खाद्य उत्पादन और मवेशियों की घटती संख्या के कारण इंसान अपने लिए नई मुसीबतें पैदा कर लेगा। दुनिया भर की सरकारें और बिजनेस लीडर पर्यावरण के बारे में गंभीरता से विचार कर रहे हैं। लेकिन हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। [द इंडिपेंडेंट]

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