Thursday, December 22, 2011

बलिया का दुर्गेश प्रदेश थ्रो बाल टीम में !

पीलीभीत में 17/18 दिसम्बर को आयोजित राज्य थ्रो बाल चैम्पियनशिप में बलिया के खिलाड़ियों का प्रदर्शन सराहनीय रहा जिसमें सर्वोच्च प्रदर्शन के आधार पर बलिया के दुर्गेश सिंह पुत्र शंकर सिंह निवासी राजेन्द्र नगर का चयन उप्र थ्रो बाल टीम में हुआ है। इसकी जानकारी देते हुए बलिया थ्रो बाल के सचिव धीरेंद्र कुमार शुक्ल ने बताया है कि उक्त टीम 27 दिसम्बर को पटना, बिहार में आयोजित 34 वें राष्ट्रीय थ्रो बाल चैम्पियनशिप में भाग लेगी। दुर्गेश का चयन होने पर सुरेश शुक्ला, उमेश शुक्ला, दिनेश शुक्ला, धनंजय सिंह, सुमित मिश्र, धीरज ठाकुर, परशुराम सिंह, रमेश सराफ, सुनील सराफ, ई.अरुण सिंह आदि ने प्रसन्नता व्यक्त की है।

Monday, December 19, 2011

कर्म की महत्ता बताने पृथ्वी पर आते हैं भगवान !



मानव जाति को सत् मार्ग से विमुख करने वाले असुर प्रवृतियों को तो भगवान बैकुण्ठ में बैठे-बैठे ही समाप्त कर सकते हैं पर बार-बार धरती पर आकर वे धर्म की महत्ता को सिद्ध करते हैं। उक्त बातें श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को रामानुजाचार्य जगतगुरु स्वामी श्रीधराचार्य जी महराज ने प्रवचन के दौरान कहीं। रामलीला मैदान के प्रांगण में श्री बलिया सत्संग सेवा समिति के बैनर तले आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में उमड़े भक्तों के सैलाब के समक्ष संत श्री ने कहा कि जब-जब धर्म की क्षति व मानव को अपने कर्म की राह में विमुख करने वाली शक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ भगवान को धरती पर आना पड़ा। भगवान का रामावतार कर्मयोग का सबसे बड़ा उदाहरण है। कथा में संतश्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म और बालपन की लीलाओं का वर्णन कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूतना वध के प्रसंग को भी बड़े मनोहर ढंग से प्रस्तुत किया। कृष्ण के अवतार को बताते हुए कहा कि कंस ने जब मानवता को खत्म करने का प्रयास किया तो भगवान को अवतार लेना पड़ा। कंस के सहभागियों को बारी-बारी मारकर भगवान ने यह बताने का भी प्रयास किया कि बुराई एक बार में ही समाप्त नहीं होती उसे व्यवस्था से भगाना पड़ता है। कथा के यजमान डीपी ज्वेलर्स रहे।

दो कुल संवारती हैं बेटियां

भागवत कथा के दौरान संत श्री ने समाज की एक प्रमुख बुराई भ्रूण हत्या पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि आज के लोग कोख में बेटियों को मारने से परहेज नहीं कर रहे पर वे भूल जाते हैं कि बेटा कितना भी लायक हो तो एक कुल का ही मान बढ़ाता है किन्तु काबिल बेटी दो कुलों को सुशोभित करती है।

निकाली कृष्ण जन्म की झांकी

श्रीमद् भगवत कथा के चौथे दिन शाम को संत श्रीधराचार्य के साथ आयी टीम ने भगवान श्री कृष्णा के जन्म की मनोहर झांकी प्रस्तुत की।

Sunday, December 18, 2011

कभी भक्त वत्सल को सच्चे दिल से बुलाओ तो !!!!!

भक्त और भगवान के बीच का संबंध किस तरह का होता है यह समझने ओर समझाने के लिए पर्याप्त है कि द्रौपदी और कृष्ण के प्रसंग देखें। किस तरह हस्तिनापुर की राजसभा में अपनी लाज बचाने के लिए चिल्ला रही उस अबला की चीख सुन कर भगवान प्रकट हुए। ग्राह द्वारा घिरे होने पर गजराज की पुकार पर भगवान का नंगे पांव आना भी यह बताता है कि यदि तुम सच्चे मन से भगवान को पुकारो तो वह हर कार्य छोड़कर भागता हुआ आता है। इसलिए अगर आप सच्चे मन से अपने को भगवत भक्ति में समर्पित कर दें तो आपका कल्याण हो जाएगा। उक्त बातें श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन रामानुजाचार्य जगदगुरु श्रीधराचार्य जी महाराज ने कही। श्री बलिया सत्संग सेवा समिति के बैनर तले आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में संतश्री ने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की सलाह भी दी। कहा कि सांसारिक सुख छोड़कर यदि तुम अपना जुड़ाव भगवान से करो तो वह ठीक उसी तरह तुमसे जुड़ जाएगा जैसे शादी के बाद ससुराल गयी स्त्री एक साथ दर्जनों रिश्तों से तुंरत ही जुड़ जाती है। संतश्री ने यह भी कहा कि मानव आज भौतिकता में इस कदर लिप्त है कि वह धन की चोरी पर तो अफसोस और चिंतन करता है पर मन और इंद्रियों के नियंत्रण विहीन होने पर होने वाले जीव के नुकसान के प्रति सोचता ही नहीं। कहा कि दुर्भाग्य है कि आज का इंसान सत्य बोलना, दया करना, पवित्रता से रहना, सहनशीलता, मन और इंद्रियों को वश में रखना व जरूरतमंदों की मदद करने जैसा मूल मंत्र ही भूलते जा रहा है। कथा में भक्तों की भारी तादाद उमड़ी रही। चौथे दिन की कथा के यजमान विजय गुप्त व अभिषेक गर्ग रहे।

Thursday, December 1, 2011

रामचरित मानस कहने व सुनने मात्र से सुधर जाता इहलोक- परलोक !

श्री रामचरितमानस पाठ के कहने सुनने मात्र से लोगों का इहलोक व परलोक दोनों सुधर जाता है। यही एक मात्र ग्रंथ है जिनके कहने से उस स्थल पर कथा श्रवण करने कोई आये या न आये किन्तु श्री हनुमत लाल जी अवश्य आते हैं। स्थानीय श्री नाथ मठ पर आयोजित श्री राम कथा सत्संग व मानस प्रवचन के पांचवें दिन बुधवार को जालौन से पधारे श्री माधवादासचार्य जी ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि पुत्र को जहां आज्ञाकारी होना चाहिए वहीं पत्‍‌नी को अपने पति की मर्यादा की रक्षा में सर्वस्व न्यौछावर कर देना चाहिए। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण श्रीराम व सीता को देते हुए उन्होंने कहा कि अगर श्रीराम आज्ञाकारी पुत्र न होते तो आज उन्हें कौन जानता। श्री राम के वन गमन में ही उनकी प्रसिद्धी छिपी थी और मां जानकी सहित उर्मिला आदि पति के दु:खों में साथी बन कर ही पूजी जाती हैं। झांसी से पधारीं प्रज्ञा भारती ने हनुमान की वीरता और भक्ति भरे प्रसंगों की चर्चा करते हुए श्रीराम का प्रिय भक्त बताया तथा निवेदन किया कि भक्तों को हनुमान जी के जीवनी से प्रेरणा लेकर अहंकार रहित भक्त बनना चाहिए। भजना नंदी श्याम देव चौबे ने भी भजनों के माध्यम से शिव महादेव की चर्चा कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के यज्ञाचार्य पं.राकेश चौबे रहे।