Monday, December 19, 2011

कर्म की महत्ता बताने पृथ्वी पर आते हैं भगवान !



मानव जाति को सत् मार्ग से विमुख करने वाले असुर प्रवृतियों को तो भगवान बैकुण्ठ में बैठे-बैठे ही समाप्त कर सकते हैं पर बार-बार धरती पर आकर वे धर्म की महत्ता को सिद्ध करते हैं। उक्त बातें श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को रामानुजाचार्य जगतगुरु स्वामी श्रीधराचार्य जी महराज ने प्रवचन के दौरान कहीं। रामलीला मैदान के प्रांगण में श्री बलिया सत्संग सेवा समिति के बैनर तले आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में उमड़े भक्तों के सैलाब के समक्ष संत श्री ने कहा कि जब-जब धर्म की क्षति व मानव को अपने कर्म की राह में विमुख करने वाली शक्तियों का प्रादुर्भाव हुआ भगवान को धरती पर आना पड़ा। भगवान का रामावतार कर्मयोग का सबसे बड़ा उदाहरण है। कथा में संतश्री ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म और बालपन की लीलाओं का वर्णन कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पूतना वध के प्रसंग को भी बड़े मनोहर ढंग से प्रस्तुत किया। कृष्ण के अवतार को बताते हुए कहा कि कंस ने जब मानवता को खत्म करने का प्रयास किया तो भगवान को अवतार लेना पड़ा। कंस के सहभागियों को बारी-बारी मारकर भगवान ने यह बताने का भी प्रयास किया कि बुराई एक बार में ही समाप्त नहीं होती उसे व्यवस्था से भगाना पड़ता है। कथा के यजमान डीपी ज्वेलर्स रहे।

दो कुल संवारती हैं बेटियां

भागवत कथा के दौरान संत श्री ने समाज की एक प्रमुख बुराई भ्रूण हत्या पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि आज के लोग कोख में बेटियों को मारने से परहेज नहीं कर रहे पर वे भूल जाते हैं कि बेटा कितना भी लायक हो तो एक कुल का ही मान बढ़ाता है किन्तु काबिल बेटी दो कुलों को सुशोभित करती है।

निकाली कृष्ण जन्म की झांकी

श्रीमद् भगवत कथा के चौथे दिन शाम को संत श्रीधराचार्य के साथ आयी टीम ने भगवान श्री कृष्णा के जन्म की मनोहर झांकी प्रस्तुत की।

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