Thursday, December 1, 2011
रामचरित मानस कहने व सुनने मात्र से सुधर जाता इहलोक- परलोक !
श्री रामचरितमानस पाठ के कहने सुनने मात्र से लोगों का इहलोक व परलोक दोनों सुधर जाता है। यही एक मात्र ग्रंथ है जिनके कहने से उस स्थल पर कथा श्रवण करने कोई आये या न आये किन्तु श्री हनुमत लाल जी अवश्य आते हैं। स्थानीय श्री नाथ मठ पर आयोजित श्री राम कथा सत्संग व मानस प्रवचन के पांचवें दिन बुधवार को जालौन से पधारे श्री माधवादासचार्य जी ने श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए उक्त उद्गार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि पुत्र को जहां आज्ञाकारी होना चाहिए वहीं पत्नी को अपने पति की मर्यादा की रक्षा में सर्वस्व न्यौछावर कर देना चाहिए। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण श्रीराम व सीता को देते हुए उन्होंने कहा कि अगर श्रीराम आज्ञाकारी पुत्र न होते तो आज उन्हें कौन जानता। श्री राम के वन गमन में ही उनकी प्रसिद्धी छिपी थी और मां जानकी सहित उर्मिला आदि पति के दु:खों में साथी बन कर ही पूजी जाती हैं। झांसी से पधारीं प्रज्ञा भारती ने हनुमान की वीरता और भक्ति भरे प्रसंगों की चर्चा करते हुए श्रीराम का प्रिय भक्त बताया तथा निवेदन किया कि भक्तों को हनुमान जी के जीवनी से प्रेरणा लेकर अहंकार रहित भक्त बनना चाहिए। भजना नंदी श्याम देव चौबे ने भी भजनों के माध्यम से शिव महादेव की चर्चा कर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के यज्ञाचार्य पं.राकेश चौबे रहे।
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