Sunday, December 18, 2011

कभी भक्त वत्सल को सच्चे दिल से बुलाओ तो !!!!!

भक्त और भगवान के बीच का संबंध किस तरह का होता है यह समझने ओर समझाने के लिए पर्याप्त है कि द्रौपदी और कृष्ण के प्रसंग देखें। किस तरह हस्तिनापुर की राजसभा में अपनी लाज बचाने के लिए चिल्ला रही उस अबला की चीख सुन कर भगवान प्रकट हुए। ग्राह द्वारा घिरे होने पर गजराज की पुकार पर भगवान का नंगे पांव आना भी यह बताता है कि यदि तुम सच्चे मन से भगवान को पुकारो तो वह हर कार्य छोड़कर भागता हुआ आता है। इसलिए अगर आप सच्चे मन से अपने को भगवत भक्ति में समर्पित कर दें तो आपका कल्याण हो जाएगा। उक्त बातें श्रीमद्भागवत कथा के चौथे दिन रामानुजाचार्य जगदगुरु श्रीधराचार्य जी महाराज ने कही। श्री बलिया सत्संग सेवा समिति के बैनर तले आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में संतश्री ने मन और इंद्रियों पर नियंत्रण करने की सलाह भी दी। कहा कि सांसारिक सुख छोड़कर यदि तुम अपना जुड़ाव भगवान से करो तो वह ठीक उसी तरह तुमसे जुड़ जाएगा जैसे शादी के बाद ससुराल गयी स्त्री एक साथ दर्जनों रिश्तों से तुंरत ही जुड़ जाती है। संतश्री ने यह भी कहा कि मानव आज भौतिकता में इस कदर लिप्त है कि वह धन की चोरी पर तो अफसोस और चिंतन करता है पर मन और इंद्रियों के नियंत्रण विहीन होने पर होने वाले जीव के नुकसान के प्रति सोचता ही नहीं। कहा कि दुर्भाग्य है कि आज का इंसान सत्य बोलना, दया करना, पवित्रता से रहना, सहनशीलता, मन और इंद्रियों को वश में रखना व जरूरतमंदों की मदद करने जैसा मूल मंत्र ही भूलते जा रहा है। कथा में भक्तों की भारी तादाद उमड़ी रही। चौथे दिन की कथा के यजमान विजय गुप्त व अभिषेक गर्ग रहे।

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