Tuesday, November 27, 2012

दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही असली खुशी

जगदीश शुक्ला ने 1944 में उत्तर प्रदेश, भारत के बलिया जिले में एक छोटे से गाँव (मिर्धा) में पैदा हुआ था. इस गांव में बिजली नहीं, कोई सड़क या परिवहन, और कोई प्राथमिक स्कूल की इमारत नहीं था. अपनी शिक्षा के प्राथमिक विद्यालय के अधिकांश एक बड़े बरगद के पेड़ के तहत प्राप्त किया गया था. वह S.R.S. से पारित हाई स्कूल, गणित और संस्कृत में गौरव के साथ प्रथम श्रेणी में श्योपुर,. उन्होंने हाई स्कूल में विज्ञान का अध्ययन करने में असमर्थ था क्योंकि कोई भी अपने गांव के पास स्कूलों के विज्ञान की शिक्षा भी शामिल है. उनके पिता स्वर्गीय श्री चन्द्र शेखर शुक्ला, उससे पूछा कि गर्मियों के दौरान 10 के माध्यम से 6 कक्षाओं के लिए विज्ञान की पुस्तकों से पहले वह अनुसूचित जाति कॉलेज, बलिया के लिए भर्ती कराया गया था, विज्ञान का अध्ययन करने के लिए पढ़ें. अनुसूचित जाति के कॉलेज से 12 ग्रेड पारित करने के बाद, उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), जहां 18 साल की उम्र में, वह भौतिकी, गणित, और पहली कक्षा में भूविज्ञान के साथ बी एस (सम्मान) पारित कर दिया और फिर चला गया भूभौतिकी में एमएस अर्जित 1964 में प्रथम श्रेणी में. वह बीएचयू से भूभौतिकी में 1971 और SCD में पीएचडी प्राप्त मौसम विज्ञान में 1976 में एमआईटी से.

प्रख्यात मौसम वैज्ञानिक प्रो.जगदीश शुक्ल ने कहा कि दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाना ही असली खुशी है। इंसानियत का तकाजा है कि इसे गंभीरता से लिया जाय। यह बातें उन्होंने मंगलवार को नगर के बापू भवन में आयोजित अपने सम्मान समारोह में कहीं। इस मौके पर नागरिक अभिनंदन समिति द्वारा उन्हें अंगवस्त्रम से अलंकृत करने के साथ ही स्मृति चिह्न देकर भी सम्मानित किया गया। प्रो.शुक्ल ने कहा कि काम ऐसा करें कि उसका लाभ सभी को मिले। इससे जो संतुष्टि मिलती है उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि खुशी ऐसे मनाएं जिससे दूसरों को कोई परेशानी न हो। अपने शोधों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मेरे सारे शोध मानवीय मूल्यों की रक्षा पर ही आधारित रहे। प्रो.शुक्ल ने लोगों को इस दिशा में आगे आने का आह्वान किया। वक्ताओं में डॉ.जनार्दन राय, डॉ.रघुवंशमणि पाठक, डॉ.एसएस चंद्रात्रेय, चंद्रशेखर उपाध्याय, नागेंद्र पांडेय, शुभ्रांशु शेखर पांडेय, कांग्रेस जिलाध्यक्ष राघवेंद्र प्रताप सिंह, केएन उपाध्याय, सुरेंद्र सिंह, विश्राम यादव, अंजनी कुमार पांडेय आदि शामिल रहे। अध्यक्षता पंडित पारसनाथ मिश्र व संचालन डॉ. राम गणेश उपाध्याय ने किया।