Thursday, July 28, 2011

कामयाब हो जनपद का मान बढ़ाया !

नगर के मुहल्ला हरपुर निवासी उद्योगपति व समाजसेवी अजय सेठ की पुत्री आयुषी सेठ ने इंडियन इन्स्टीट्यूट आफ मास कम्यूनिकेशन में प्रवेश पाकर जनपद का मान बढ़ाया है। दिल्ली स्थित आइआइएमसी में पूरे भारत से 45 छात्रों का चयन होना था जिसमें आयुषि भी शामिल है। आयुषि के दादा भुतपूर्व रोटरी क्लब अध्यक्ष अशोक सेठ व बलिया जर्नलिच्म एसोसिएशन ने सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त किया है।

Monday, July 25, 2011

सहज सरल व्यक्तित्व के धनी रहे पंडित परशुराम !

सोमवार को चलता पुस्तकालय सभागार में सायं बलिया हिन्दी प्रचारिणी सभा द्वारा डा.रघुवंश मणि पाठक की अध्यक्षता में आचार्य पं.परशुराम चतुर्वेदी की जयंती समारोहपूर्वक मनायी गयी। संचालन डा.शत्रुघ्न पांडेय ने किया। प्रो.रामसुन्दर राय ने वाणी वंदना प्रस्तुत की। आचार्य चतुर्वेदी के व्यक्तित्व एवं कृतीत्व पर प्रकाश डालते हुए अध्यक्ष डा.रघुवंश मणि पाठक ने कहा कि उनका व्यक्तित्व सहज था। वे सरल स्वभाव के थे। स्नेह और सौहार्द के प्रतिमूर्ति थे। इकहरा शरीर, गौरवर्ण, मध्यम कद काठी और सघन सफेद मूंछें उनके बड़प्पन को प्रकाशित करने केलिये पर्याप्त थीं। उनके मुख मंडल पर परंपरागत साहित्य की कोई विकृति की रेखा नहीं देखी गयी बल्कि एक निश्चित दीप्ति सदा थिरकती रही जिससे बंधुता एवं मैत्री भाव विकीर्ण होता रहता था। चतुर्वदी जी महान अन्नवेषक थे। मनुष्य की चिंतन परंपरा की खोज में उन्होंने संत साहित्य का गहन अध्ययन किया। वे मुक्त चिंतन के समर्थक थे इसलिये किसी सम्प्रदाय या झंडे के नीचे बंधकर रहना पसंद नहीं किया। साहित्य में विकासवादी सिद्धांत के पक्षधर थे। डा.शत्रुघ्न पांडेय ने कहा कि उनकी विद्वता के आगे बड़े-बड़ों को हमेशा झुकते देखा गया है। पं.शंभूनाथ उपाध्याय ने कहा कि उनका जीवन मानवता के कल्याण के प्रति समर्पित था। ध्रुवपति पांडेय ध्रुव ने कहा कि चतुर्वेदी जी का जीवन ही अपने आप में साहित्य है। डा.भरत पांडेय, डा.दीनानाथ ओझा, अशोक जी, डा.इन्द्रदत्त पांडेय, बृजमोहन प्रसाद अनारी, त्रिभुवन प्रसाद सिंह प्रीतम, बरमेश्वर प्रसाद वर्मा, एजाज बलियावी, सत्य स्वरूप चतुर्वेदी, रामानंद सिंह, अनंत प्रसाद रामभरोसे, शिवजी पांडेय, महावीर प्रसाद गुप्त, कैस तारविद, डा.जनार्दन चतुर्वेदी ने अपने वक्तव्य व रचनाओं से सभी को विभोर कर दिया। उक्त के अतिरिक्त सभा में श्रीकृष्ण कुमार सिंह, राधाकृष्ण उपाध्याय सहित अनेक नागरिक उपस्थित थे।


सांसद ने घर पहुंच दी भावांजलि

आचार्य पं.परशुराम चतुर्वेदी के 117 वें जन्मदिवस पर सांसद नीरज शेखर ने उनके हरपुर स्थित आवास परशुराम पुरी पहुंच कर उनके चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। संत साहित्य के मर्मज्ञ आचार्य जी की स्मृतियों को याद करते हुए सांसद द्वारा उनके पुत्र रिपुंजय चतुर्वेदी (पूर्व ग्राम प्रधान जवहीं), पुत्री मीरा तिवारी एवं सेवक जमुना प्रसाद को अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया। रिपुंजय चतुर्वेदी द्वारा ग्राम जवहीं को बिजली पहुंचाने और पुल के माध्यम से सड़क द्वारा जोड़ने के अनुरोध पर सकारात्मक प्रयास करने का आश्वासन दिया। इससे पहले परशुराम पुरी पहुंचने पर आचार्य जी के परिवार की ओर से सत्य स्वरूप चतुर्वेदी एवं अतुल तिवारी द्वारा माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। इस अवसर पर जनपद के वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव चतुर्वेदी, संतोष राय, श्रीनिवास राय, अजय कुंवर, एचएन उपाध्याय, पूर्व चेयरमैन जवाहर प्रसाद, अजय तिवारी, समर बहादुर सिंह, रघुपति जी, बबलू तिवारी आदि उपस्थित थे।

Saturday, July 23, 2011

पिया सावन में कजरी सुनावे झूला झुलावे चल ना ..

जब गांवों में 'हरि हरि कृष्ण बनेले मनिहारी पहिरि लिहले साड़ी ए हरी..।पिया सावन में कजरी सुनावे झूला झुलावे चल ना..।' जैसे कर्णप्रिय कजरी सुनाई देने लगता था तो लोगों को एहसास हो जाता था कि मन भावन सावन का महीना आ गया है। इस जमाने में क्या सावन, क्या भादो न तो कहीं गांवों में महिलाएं कजरी गाते दिखती हैं न ही पेड़ की डालों पर अब झूले ही दिखाई दे रहे है। सावन के महीने में पड़ती रिमझिम फुहार और उसमें भीगती खेतों की निराई-गुड़ाई करती महिलायें जब कजरी गाती थीं, तो मन बाग-बाग हो जाता था। अब समय के साथ सब कुछ बदल सा गया है। अब इस तरह के पारम्परिक गीतों का ह्रास होने लगा है। सावन के महीने में कजरी का विशेष महत्व है। वर्षो पहले गांव की युवतियां जब हाथों में मेंहदी लगाकर झूला झूलते समय कजरी गाती थीं तब मन मयूर नाच उठता था। बुजुर्गो का कहना है कि पारम्परिक गीतों का ह्रास होना भारतीय संस्कृति के लिए शुभ संकेत नहीं है।

'कइसे खेले जइबू सावन के कजरिया, बदरिया घेरि आइल ननदी', पिया मेंहदी ले आइ द मोती झील से, जाके साइकिल से ना, 'आरे रामा सावन में लागे सोमारी, सोमारी देखे जाइब ए हरी'। सावन का महीना चल रहा है। सावन के महीने में कजरी, झूला व मेहंदी का गजब का संयोग है। इन तीनों के अभाव में सावन का महत्व ही समाप्त हो जाता है। सावन के सुहावने मौसम में झूला झूलती कजरी गाती हुयी हाथों पर मेंहदी रचाई हुयी युवतियों का झुंड नजर नहीं आता है।

Tuesday, July 12, 2011

ठिकाना तो मिल गया पर परिजन नहीं !

नैतिक मूल्यों में आयी गिरावट के बावजूद समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो बेसहारों का सहारा बन उनकी जिन्दगी की नैया पार लगाने को कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। उदाहरण के तौर पर एक अध्यापक को लिया जा सकता है जिसने एक गूंगी युवती को न सिर्फ मनचलों के चंगुल में आने से बचाया अपितु पुलिस को संज्ञान में देकर उसे अपने घर में शरण भी दी। यह युवती अपने परिजनों के बारे में लिखित रूप से भी कोई जानकारी नहीं दे पा रही है। गूंगी युवती को परिजनों तक पहुंचाने के लिए नरहीं पुलिस पांच दिनों से भटक रही है। घटना चौरा गांव के सामने की है। बीते गुरुवार की शाम को लगभग 22 वर्षीय गूंगी युवती सड़क के किनारे बैठी रो रही थी। कुछ मनचले भी उसके इर्द गिर्द मंडरा रहे थे। इसी बीच बाइक से जनता उमावि सिंहपुर से शिक्षण कार्य पूरा कर लौट रहे भीम सिंह निवासी चौरा की नजर उस पर पड़ी। उनको करीब आता देख मनचले भाग खड़े हुए। उन्होंने सड़क के किनारे रो रही युवती से पूछने का प्रयास किया लेकिन वह कुछ भी नहीं बता सकी। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी और उसे बाइक पर बैठा अपने घर लेते आये। संज्ञान में आते ही नरहीं थानाध्यक्ष बकरीदन अली तत्काल मौके पर पहुंच गये। उन्होंने भी उस युवती के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया। इस दौरान युवती के झोले में तीन सेट कपड़ा मिला। झोला पर नेहा गारमेंट्स बांसडीह सब्जी मण्डी मोड़ बड़ी बाजार लिखा हुआ है। पुलिस वहां भी पहुंची लेकिन परिजनों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी।

गूंगी युवती का हर कोई कायल

भटकती मिली गूंगी युवती का भीम सिंह के घर का हर कोई कायल है। उसकी रहन-सहन व काम करने के तरीके से अध्यापक का परिवार उसे अब अपनी बेटी की तरह मानने लगा है। उसके व्यवहार से ऐसा लगता है कि वह किसी सांस्कारिक परिवार की है। अध्यापक भीम सिंह ने बताया कि यह युवती खाना साफ सुथरा व अच्छा बना ले रही है। वह भी इसके परिवार वालों से मिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

Sunday, July 10, 2011

चांदी की रोशनी में हर काम होता है..

साहित्य कल्प की शनिवार की रात आर्य समाज रोड स्थित कार्यालय पर हुई मासिक कवि गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार किया। अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए प्रो.केपी श्रीवास्तव ने 'चांदी की रोशनी में हर काम होता है, जनतंत्र समूचा नीलाम होता है' सुनाकर जनतंत्र की वर्तमान व्यवस्था पर प्रहार किया। संस्था के उपाध्यक्ष हास्य व्यंग्य के धनी भोला प्रसाद आग्नेय ने मजहबी उन्माद फैलाने वालों पर अपना व्यंग्य बाण चलाया। 'रस्सियां मजहबी जली एकता के लिए पर दीखती उनकी ऐंठन है क्या करूं' सुनाकर उन्होंने वाहवाही लूटी। संस्था के सचिव छोटे लाल वर्मा मलाल ने सत्ताधारियों के काले कारनामे की ओर इशारा इस प्रकार किया-'बबुआ देश डूबल अब गड़ही में, लागल बा आग मड़ई-मड़ई में'। संचालन करते हुए लाल साहब सत्यार्थी ने कहा 'अब हम देंगे एक अच्छी सी सरकार मितवा, अपनी जिन्दगी का कर लो बेड़ा पार मितवा'। इसी क्रम में सुदेश्वर अनाम, पत्रकार मुश्ताक मंजर, फतेह चन्द्र बेचैन, अब्दुल कैस तारविद, अर्जुन प्रेमी, हफीज मस्तान, नंद जी नंदा, राम प्रसाद सरगम आदि ने अपनी-अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से गोष्ठी को कामयाबी की मंजिल तक पहुंचाया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ।

Sunday, July 3, 2011

भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने को भक्तों में लगी होड़ !

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा रविवार की शाम 5 बजे पूरे हर्षोल्लास व धूमधाम के साथ नगर में निकाली गयी। रथ पर भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा को स्थापित कर गाजा-बाजा के साथ पूरे नगर में भ्रमण कराया गया। सैकड़ों की संख्या में लोग रथ को खींच रहे थे। नगर में जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा रथ की आरती उतारी गयी। पहली रथयात्रा बालेश्वर मंदिर स्थित ठाकुर बाड़ी से निकाली गयी। यह एलआइसी रोड होते हुए मालगोदाम रोड, रेलवे स्टेशन, चौक सिनेमा रोड से जाकर पुन: मंदिर पर समाप्त हो गयी। मीना बाजार स्थित रामजानकी मंदिर से निकली दूसरी रथयात्रा टाउन हाल, चौक, स्टेशन रोड, मालगोदाम रोड होते हुए पुन: अपने स्थान पर आकर समाप्त हो गयी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद भक्त भगवान जगन्नाथ का रथ खींच रहे थे। रास्ते में श्रद्धालुओं ने रथ पर सवार भगवान जगन्नाथ का दर्शन- पूजन किया व आरती उतारी। यात्रा में हाथी, घोड़े, ऊंट के साथ ही ढोल, ताशा के साथ श्रद्धालु जमे रहे। इस दौरान पूरे नगर में पुलिस की चाक चौबंद व्यवस्था रही।

शौर्य प्रदर्शन के बीच निकले अखाड़े !

नगर में पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच रविवार की देर शाम को निकले ऐतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस में अखाड़ों ने शस्त्र कलाओं का हैरतअंगेज प्रदर्शन किया। इस दौरान जय महावीर के उद्घोष से सिकंदरपुर कस्बा गूंज उठा। अखाड़ों में एक से बढ़कर एक आकर्षक झांकियां सजाई गयी थी। वहीं बच्चों से लेकर बूढ़े तक की जुबान से जय महावीर का नारा निकल रहा था। ऐतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस का पहला अखाड़ा महावीर स्थान डोमनपुरा से निकला। इसमें शामिल युवा अपने कला-कौशल का प्रदर्शन करते हुए हास्पिटल तिराहे पर पहुंचते हैं। इसके बाद मानपुर, पुरापुर (बट्टा), रहिलापाली, भीखपुरा, गाला बाजार, चक्खान, जलालीपुर, मिल्की, हास्पिटल तिराहा सहित सवां दर्जन से अधिक अखाड़े निकल कर डोमनपुरा अखाड़े के पीछे लग जाते हैं। कुछ अखाड़े जल्पा चौक पर खड़े होकर मुख्य अखाड़े का इंतजार करते हैं। इसके आने के बाद पीछे क्रमवार लग जाते हैं। हर अखाड़ों के साथ पुलिस की व्यवस्था की गयी थी। देर रात तक क्रमवार अखाड़े डोमनपुरा ठाकुर मंदिर पहुंचते हैं। अखाड़े के आगे बढ़ने के साथ ही प्रशासन ने राहत के साथ ली। इस दौरान क्षेत्रीय विधायक भगवान पाठक, पूर्व विधायक मो.रिजवी, प्रयाग चौहान, डा. उमेश, अनिल बर्नवाल, संजीव जायसवाल, राकेश चौहान आदि मौजूद रहे। वहीं अपर पुलिस अधीक्षक अशोक कुमार त्रिपाठी, सीओ चिरंजीव समेत कई थानों की फोर्स एवं प्रशासनिक अधिकारी जमे रहे।

आकर्षण का केंद्र रहा बच्चों का शांति मार्च

ऐतिहासिक महावीरी झंडा जुलूस के पूर्व सिकंदरपुर कस्बे में बच्चों ने आकर्षक शांति मार्च निकाल कर जनता को शांति व सौहा‌र्द्र का संदेश दिया। कम उम्र के बच्चे युवा नेता गोरख गुप्त के नेतृत्व में शांति समिति के बैनर तले हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर नगर के हर मार्गो पर चक्रमण करते रहे। साथ ही बजरंग बली का नारा बुलंद करते रहे। देर शाम को पार्वती कटरा पर इनका भ्रमण खत्म हुआ।

झांकियों को देखने के लिए उमड़ी भीड़

भीखपुर मुहल्ले के अखाड़े में शामिल झांकियों को देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। ट्रैक्टर-ट्रालियों पर सजी झांकियों को कई ढंग से सजाया गया था। वहीं इस अखाड़े में बच्चों के मनोरंजन के लिए कई तरह के कार्टून बनाये गये थे।

छावनी में तब्दील रही रशीदिया मस्जिद

अखाड़ों के मार्ग पर पड़ने वाले सर्वाधिक संवेदनशील गंधी मोहल्ला स्थित रशीदिया मस्जिद पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील रही। इसी मार्ग से एक-एक कर अखाड़ा आगे बढ़ता है। इस स्थल पर अखाड़ेदार ज्यादा जोर आजमाइश करते हैं।