Tuesday, July 12, 2011

ठिकाना तो मिल गया पर परिजन नहीं !

नैतिक मूल्यों में आयी गिरावट के बावजूद समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो बेसहारों का सहारा बन उनकी जिन्दगी की नैया पार लगाने को कोई कोर कसर नहीं छोड़ते। उदाहरण के तौर पर एक अध्यापक को लिया जा सकता है जिसने एक गूंगी युवती को न सिर्फ मनचलों के चंगुल में आने से बचाया अपितु पुलिस को संज्ञान में देकर उसे अपने घर में शरण भी दी। यह युवती अपने परिजनों के बारे में लिखित रूप से भी कोई जानकारी नहीं दे पा रही है। गूंगी युवती को परिजनों तक पहुंचाने के लिए नरहीं पुलिस पांच दिनों से भटक रही है। घटना चौरा गांव के सामने की है। बीते गुरुवार की शाम को लगभग 22 वर्षीय गूंगी युवती सड़क के किनारे बैठी रो रही थी। कुछ मनचले भी उसके इर्द गिर्द मंडरा रहे थे। इसी बीच बाइक से जनता उमावि सिंहपुर से शिक्षण कार्य पूरा कर लौट रहे भीम सिंह निवासी चौरा की नजर उस पर पड़ी। उनको करीब आता देख मनचले भाग खड़े हुए। उन्होंने सड़क के किनारे रो रही युवती से पूछने का प्रयास किया लेकिन वह कुछ भी नहीं बता सकी। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को दी और उसे बाइक पर बैठा अपने घर लेते आये। संज्ञान में आते ही नरहीं थानाध्यक्ष बकरीदन अली तत्काल मौके पर पहुंच गये। उन्होंने भी उस युवती के बारे में जानकारी लेने का प्रयास किया। इस दौरान युवती के झोले में तीन सेट कपड़ा मिला। झोला पर नेहा गारमेंट्स बांसडीह सब्जी मण्डी मोड़ बड़ी बाजार लिखा हुआ है। पुलिस वहां भी पहुंची लेकिन परिजनों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल सकी।

गूंगी युवती का हर कोई कायल

भटकती मिली गूंगी युवती का भीम सिंह के घर का हर कोई कायल है। उसकी रहन-सहन व काम करने के तरीके से अध्यापक का परिवार उसे अब अपनी बेटी की तरह मानने लगा है। उसके व्यवहार से ऐसा लगता है कि वह किसी सांस्कारिक परिवार की है। अध्यापक भीम सिंह ने बताया कि यह युवती खाना साफ सुथरा व अच्छा बना ले रही है। वह भी इसके परिवार वालों से मिलाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

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