Sunday, July 10, 2011
चांदी की रोशनी में हर काम होता है..
साहित्य कल्प की शनिवार की रात आर्य समाज रोड स्थित कार्यालय पर हुई मासिक कवि गोष्ठी में कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से सामाजिक कुरीतियों पर करारा प्रहार किया। अध्यक्षीय काव्य पाठ करते हुए प्रो.केपी श्रीवास्तव ने 'चांदी की रोशनी में हर काम होता है, जनतंत्र समूचा नीलाम होता है' सुनाकर जनतंत्र की वर्तमान व्यवस्था पर प्रहार किया। संस्था के उपाध्यक्ष हास्य व्यंग्य के धनी भोला प्रसाद आग्नेय ने मजहबी उन्माद फैलाने वालों पर अपना व्यंग्य बाण चलाया। 'रस्सियां मजहबी जली एकता के लिए पर दीखती उनकी ऐंठन है क्या करूं' सुनाकर उन्होंने वाहवाही लूटी। संस्था के सचिव छोटे लाल वर्मा मलाल ने सत्ताधारियों के काले कारनामे की ओर इशारा इस प्रकार किया-'बबुआ देश डूबल अब गड़ही में, लागल बा आग मड़ई-मड़ई में'। संचालन करते हुए लाल साहब सत्यार्थी ने कहा 'अब हम देंगे एक अच्छी सी सरकार मितवा, अपनी जिन्दगी का कर लो बेड़ा पार मितवा'। इसी क्रम में सुदेश्वर अनाम, पत्रकार मुश्ताक मंजर, फतेह चन्द्र बेचैन, अब्दुल कैस तारविद, अर्जुन प्रेमी, हफीज मस्तान, नंद जी नंदा, राम प्रसाद सरगम आदि ने अपनी-अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से गोष्ठी को कामयाबी की मंजिल तक पहुंचाया। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना से हुआ।
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