Tuesday, August 18, 2009

जब सदाफल देव जी ने अंग्रेेजों से लिया था मोर्चा !

बलिया । कहते है राज सत्ता जब-जब संतों से टकरायी उसका क्षय हुआ। गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी भारत माता को आजाद कराने के लिए सद्गुरू सदाफल देव जी महाराज ने जब युवावस्था में अंग्रेजों से मोर्चा लिया तो उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। हाथों में हथकड़ी और पांव में बेड़ी डालकर उन्हे जेल भेज दिया गया जहां उन्हे तरह-तरह की यातनाएं दी गयीं। उस दौरान भी आध्यात्मिक राज्य की स्थापना के लिए उन्होंने अनादि गुरू से प्रार्थनाएं कीं। उस दौरान वे विज्ञानानंद के नाम से जाने जाते थे।

महाराज विज्ञान देव ने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के लिए अपनी राजनीतिक गिरफ्तारी के दौरान सदाफल देव जी महाराज ने आध्यात्मिक प्रयोगों को नहीं छोड़ा। उनका मानना था कि इसी विधा के फलस्वरूप विश्व में सच्चे सुख-शांति की स्थापना हो सकती है इसीलिये उन्होंने राजनीति को आध्यात्म के वृहद दायरे से अलग नहीं देखा। उन्होंने 'विश्व राज्य विधान' नामक स्वरचित पुस्तक में आध्यात्मिक राज्य की रूपरेखा प्रदान की है।

परम संत विज्ञान देव जी महाराज बताते है कि 1920 में सदाफल देव जी पर दानापुर में फौज विद्रोह का अभियोग चला जिसमें उन्हे दो वर्ष का सश्रम कारावास भी भुगतना पड़ा था। राजसत्ता के संत से टकराते ही विदेशी शासन के निष्कासन की नींव पड़ गयी। 1921 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ, राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की गिरफ्तारी हुई और स्वाभिमान की लहर ने एक दिन अंग्रेजों को भारत छोड़ने को मजबूर कर दिया।

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