Tuesday, September 29, 2009

गुलाबों की नगरी : विकास के लिए आज भी मसीहे का इंतजार !

सिकन्दरपुर (बलिया)। विकास एवं जनता की मूलभूत समस्याओं के समाधान हेतु शासन द्वारा जबकि भारी धन व्यय कर अनेक तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं वहीं गुलाबों की नगरी कहलाने वाली नगर पंचायत सिकन्दरपुर में मानापुर के रूप में एक ऐसा मोहल्ला भी है जहां विकास की किरणें आजादी के छ: दशक बाद भी संतोषजनक रूप से नहीं पहुंच पायी हैं। इसके चलते मोहल्ला के नागरिक आज भी आवागमन, पेयजल, विद्युत, शिक्षा तथा स्वास्थ्य जैसी मूलभूत जरूरतों की प्राप्ति हेतु जूझ रहे हैं। ये अलग बात है कि नगर पंचायत के अन्य मोहल्लों की भांति शासन द्वारा गलत सही ढंग से अब तक निश्चित रूप से लाखों रुपया बहाया गया होगा। शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में तो यह मोहल्ला अभी तक अन्य मुहल्लों से काफी पीछे चल रहा है। नगर पंचायत के अन्तिम पूर्वी उत्तरी छोर पर दो वाडरें में विभाजित इस मोहल्ले में न तो एक प्राथमिक विद्यालय है और न ही नागरिकों के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई व्यवस्था है। फलत: इस मुहल्लेवासियों को अपने बच्चों की पढ़ाई चिकित्सा व स्वास्थ्य सम्बन्धी आवश्यकता की पूर्ति हेतु दो किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यह अलग बात है कि चांद पर पानी खोजकर हम भारतवासी गौरवान्वित हैं, विकसित मुल्कों को चौका दिये हैं तथा उन्हे अपनी विज्ञान क्षमता का लोहा मनवाने को विवश कर दिये है।

इस मुहल्ले में आयोजित जन चौपाल में यहां के लोग जनप्रतिनिाियों से खासे नाराज दिखे। नागरिक समस्या शिविर में आये नागरिकों ने अपनी समस्याओं के लिए नगर पंचायत सिकन्दरपुर प्रशासन को भी दोषी ठहराया तथा उस पर जमकर भड़ास निकाली। इस मोहल्ले में कस्बे के अदंरूनी भाग से मनियर रोड को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग तो सीमेंटेड है जबकि बस्ती में जाने वाले करीब एक दर्जन सम्पर्क मार्ग कच्चे हैं जिससे बरसात के दिनों में उस पर चलना टेढ़ी खीर के सामान हो जाता है।

मोहल्ले की समस्याओं के बारे में पूछने पर रामजीत चौहान ने बताया कि यहां सर्वाधिक समस्या बिजली और जल निकासी की है। जल निकासी के लिए नगर पंचायत द्वारा मुख्य सड़क के दोनों तरफ नाले बनवाये तो गये हैं किन्तु सफाई के अभाव में उनका अधिकांश भाग कीचड़ से भर गया है तथा उसमें झाड़-झंखाड़ उग गया है। कहा कि बिजली आज मानव जीवन के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण बन गई है। इस स्थिति से प्रशासन व बिजली विभाग के लोग अवगत भी हैं बावजूद इसके मोहल्लेवासियों को बिजली की समस्या से निजात नहीं दिलाई जा रही है। सब्जी उगाने वाले नथुनी वर्मा ने बताया की बच्चों की शिक्षा के लिए न तो सरकारी और नहीं प्राइवेट सेक्टर से कोई व्यवस्था है। फलत: हमें अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए मोहल्ले से करीब दो किमी दूर स्थित विद्यालयों में भेजना पड़ता है। बिजली के बारे में बताया कि पिछले एक महीने से मोहल्ले के नागरिकों को बिजली रानी के दर्शन नहीं हो पाये हैं जिसके मूल में जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा तथा विद्युत विभाग की उदासीनता है। शिवकुमार वर्मा ने बताया कि यह मोहल्ला नगर पंचायत के बाहरी भाग में स्थित है प्रशासन की लापरवाही के कारण मोहल्ले का अधिकांश भाग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि बिजली समस्या के समाधान तथा नालों की सफाई हेतु अनेक बार सम्बन्धित विभागों से कहा गया किन्तु अब तक उनके कान पर जूं नहीं रेगा। उन्होंने विशेष तौर से बढ़ती नागरिक समस्याओं के लिए नगर पंचायत प्रशासन और यहां के जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराया। अफसोस जताया कि नेता मात्र चुनाव के दिनों में ही वोट लेने के लिए मोहल्ले में आते हैं चुनाव बाद उनका इस मोहल्ले में दर्शन नहीं होता। मीरा देवी ने मोहल्ले की साफ सफाई, बिजली, राशन कार्ड की समस्या का मुद्दा उठाते हुए बताया कि पात्रों को पीला राशन कार्ड जबकि अपात्र व्यक्तियों को सफेद व लाल राशन कार्ड प्रशासन द्वारा प्रदान कर दिया गया है। अपने बच्चों के साथ गरीबी की मार झेल रही विकलांग देवन्ती देवी का रोना था कि हमारे पास न तो खेती योग्य जमीन है और न ही रहने के लिए घर फिर प्रशासन द्वारा पीला कार्ड मुहैया कराया गया है। विधवा राधिका देवी का दर्द भी देवन्ती से बढ़कर है। वह विधवा है तथा आज भी प्लास्टिक व फूस की झोपड़ी डालकर अपनी जवान बेटियों के साथ अपनी इज्जत समेटे हुए है। आजीविका का कोई अन्य सहारा नहीं रहने तथा खेतों के अभाव में थोड़ा बहुत सब्जी बेचकर किसी प्रकार अपना व अपने बच्चों का पेट भरने के साथ ही अपनी इज्जत पर पर्दा रखे हुए है। राधिका ने आंखों में आंसू भरकर बताया कि उसके पास एक अदद राशन कार्ड तक नहीं है जिससे कि सस्ता मिट्टी तेल व अनाज उसे मिल सके। छोटेलाल रजक ने बताया कि मोहल्ले का उतरी भाग आज भी विद्युतीकरण से वंचित है जिससे यहां के नागरिक बिजली का उपयोग नहीं कर पाते है। बताया कि करीब आधा दर्जन सम्पर्क मार्गो में से मात्र एक की ही सोलिंग करायी गयी है। बरसात के दिनों में अन्य कच्चे मार्गो पर चलना मुश्किल हो जाता है। दीघा गड़ही है उसमें धोबी घाट भी है किंतु घाट पक्का नहीं होने तथा गड़ही का पानी गंदा होने से हमें कपड़ा धोने के लिए दूरदराज के गांवाें के पोखरों का सहारा लेना पड़ता है। दीघा गड़ही के सटे निवास करने वाले अनिल कुमार ने बताया कि गड़ही से निकलने वाली दुर्गन्ध पूरी बस्ती के वातावरण को दूषित करती है। अनेक बार मोहल्ले में कालरा का प्रकोप होने से कई जानें जा चुकी हैं। स्वास्थ्य विभाग और पंचायत प्रशासन को सूचना दिये जाने के बावजूद आज तक कोई इस मोहल्ले में झांकने तक नहीं आया। उन्होंने टोला का विद्युतीकरण कराने तथा स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा यहां के नागरिकों का स्वास्थ्य परीक्षण कराने की मांग की। अवकाश प्राप्त सैनिक प्रभुनाथ गोंड ने बताया कि मोहल्ले में सरकारी पानी की सप्लाई तो समय-समय पर मिल जाती है किन्तु यहां के नागरिक बिजली आपूर्ति की दु‌र्व्यवस्था से काफी कठिनाई महसूस करते हैं। हफ्तों महीनों तक इस मुहल्ला से बिजली गायब रहती है। विद्युत केन्द्र सिकन्दरपुर को सूचना दी जाती है किन्तु समय से विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं की जाती। बताया की नगर पंचायत द्वारा मोहल्ला के उत्तरी भाग के निवासियों को कोई सुविधा प्राप्त नहीं है। सभी गलियां आज भी कच्ची पड़ी हुई हैं। बरसात के दिन में आवागमन की सर्वाधिक कठिनाई मुख्य मार्ग से मोहल्ले की तरफ जाने वाले मार्ग पर होती है क्योंकि उस पर पानी और कीचड़ भर जाता है।

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