Sunday, September 6, 2009

पूर्वाचल में खो-खो को मिली संजीवनी !

बलिया। चन्द्रशेखर ट्राफी के लिए खेली गयी 43 वीं सीनियर नेशनल खो-खो चैम्पियनशिप अनेकता में एकता का संदेश देते हुए पुरस्कार वितरण समारोह के साथ ही सम्पन्न जरूर हो गयी लेकिन बलिया समेत पूरे पूर्वाचल में इस खेल के उत्थान का मार्ग भी प्रशस्त कर गयी। इससे खो-खो के प्रति जन जागरूकता को भी बढ़ावा मिला। कहना गलत न होगा कि इस चैम्पियनशिप के आयोजन से पूर्व यहां के अधिकतर लोग खो-खो के बारे में बहुत कम ही जानते थे लेकिन जैसे-जैसे यह आयोजन अपने शबाब पर पहुंचता गया, लोगों में इसके प्रति रुझान भी बढ़ता गया। यह सच है कि खिताबी मुकाबला प्रकृति की भेंट चढ़ गया लेकिन उसके पूर्व के मैचों में देश के कोने-कोने से आयी टीमों ने जिस तरह अपना जलवा बिखेरा वह काबिल-ए-गौर रहा। आने वाले समय में अगर बलिया में खो-खो के खिलाड़ियों का ग्राफ बढ़ेगा तो उसके मूल में भारतीय खो-खो फेडरेशन की घोषणाएं भी अहम भूमिका निभाएंगी।

विशेषज्ञ बताते है कि क्रिकेट की चकाचौंध में अधिकतर खेल अपना अस्तित्व बचाने के लिए आज भी संघर्षरत है। इनमें खो-खो भी एक है। आज उन लोगों की संख्या अधिक है जो अपने बच्चों को एक क्रिकेटर के रूप में देखना ज्यादा पसंद करते है लेकिन यहां वीर लोरिक स्टेडियम में सीनियर नेशनल खो-खो चैम्पियनशिप के भव्य आयोजन के बाद परिस्थितियां अब कुछ बदली-बदली सी नजर आने लगी है। अभिभावकों का बढ़ा रुझान यह संकेत दे रहा है कि बलिया समेत पूरे पूर्वाचल में खो-खो अपना प्रभुत्व बहुत जल्द स्थापित कर लेगा।

दूसरी ओर इस खेल से यहां के खिलाड़ियों को भी बहुत कुछ सीखने को मिला। महिलाओं में पाण्डिचेरी, केरल व महाराष्ट्र की टीमों ने जहां अपनी तेजी से लोगों का दिल जीता वहीं पुरुषों में कर्नाटक व रेलवे की टीम ने यह संदेश दिया कि खिलाड़ियों के लिए जोश के साथ होश भी विशेष मायने रखता है। खो-खो खिलाड़ियों को अपने साथ जोड़ कर रेल महकमे ने इनका जीवन जिस तरह संवारने का सराहनीय प्रयास किया है उसे देखते हुए कयास यही लगाये जा रहे है कि अब संबंधित खिलाड़ियों को बेरोजगारी से अधिक समय तक नहीं जूझना पड़ेगा।

दूसरी ओर इस चैम्पियनशिप के परिप्रेक्ष्य में जिला स्तर पर आयोजन समिति को कितना सहयोग मिला यह तो इससे जुड़े लोग ही बता सकेंगे लेकिन इतना जरूर है कि मौके पर यहां के जनप्रतिनिधि खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाने के लिए मौजूद होते तो इसकी भव्यता का नजारा शायद कुछ और ही होता। आवश्यकता बीते पल से सीख लेते हुए अपनी मनोदशा में बदलाव लाने की है ताकि बागी बलिया का गौरव कलंकित न होने पाये।

यूपी की महिला टीम को चौथी रैक

बलिया: 43 वीं सीनियर नेशनल खो-खो चैम्पियनशिप में यूपी की महिला टीम भले ही सेमीफाइनल में नहीं पहुंच सकी लेकिन अपनी रैक में उसने सुधार जरूर कर लिया। वर्ष 2006 में हुई सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में यह टीम नवें स्थान पर रही लेकिन गत पांच सितम्बर को सम्पन्न हुए खो-खो के महा कुम्भ में उसने अपनी रैक में अप्रत्याशित सुधार करते हुए खुद को चौथे स्थान पर ला खड़ा किया। बता दें कि इस टीम में आधा दर्जन खिलाड़ी बलिया की थीं।

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