Wednesday, September 23, 2009

हिन्दी को शामिल किया जाय आठवीं अनसूची में: हीरालाल !

बलिया। राष्ट्रभाषा हिन्दी को आठवीं अनसूची में शामिल करना अब समय की मांग बन गयी है। आवश्यकता इस संबंध में सार्थक पहल करने की है। तभी इसे अपेक्षित मुकाम मिल सकता है।

यह बातें पाक जेलों में जलालत की जिन्दगी गुजार रहे भारतीय युद्धबंदियों की रिहाई के लिए बिना सीट वाली साइकिल से दर्जनों देशों की यात्रा कर चुके गाजीपुर जनपद के सिधारी निवासी हीरालाल ने कहीं। वे दीवानी न्यायालय के सेंट्रल हाल में जिला जज आरपी शुक्ला के निर्देशन में सिविल जज (सीडी) अनिल कुमार यादव द्वारा आयोजित हिन्दी सप्ताह दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने परूवा बैल नामक हास्य कविता सुना सबको लोटपोट कर दिया। इससे पूर्व हिन्दी प्रचारिणी सभा के डा.शत्रुघ्न पाण्डेय ने कहा कि हिन्दी एक ऐसी भाषा है जो सभी भाषाओं को एक सूत्र में पिरो देती है। जिस राष्ट्र के पास अपनी भाषा नहीं वह राष्ट्र नहीं। इसी क्रम में अनवर लतीफी, रामाशंकर पाण्डेय, सुभाष पाण्डेय, विवेक मोहन श्रीवास्तव, त्रिभुवन सिंह, प्रीतम, अशोक कुमार, बच्चू सिंह के साथ ही इस कार्यक्रम के संयोजक सिविल जज (सीडी) अनिल कुमार यादव ने हिन्दी साप्ताहिक दिवस पर विस्तृत चर्चा की तथा अपनी कविताएं सुना कर सबको भाव-विभोर कर दिया।

इस अवसर पर अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय कुशलपाल सिंह, तृतीय जज राधेश्याम सिंह, चतुर्थ एकेझा, स्पेशल जज, यूसी सक्सेना, एफटीसी तृतीय श्याम नारायण त्रिपाठी, सीजेएम पृथ्वीपाल सिंह यादव, जेएम द्वितीय पवन कुमार राय, अध्यक्ष सिविल बार एचएन सिंह, सचिव क्रिमिनल बार राजेन्द्र सिंह, अध्यक्षगण जूनियर बार मुरली मनोहर सिंह व लक्ष्मण यादव, पश्चिमी मुंसिफ अरुण कुमार, अवधेश सिंह, रतन मिश्रा, विनायक सिंह, पप्पू चौरसिया आदि मौजूद रहे। अध्यक्षता कर रहे जिला जज आरपी शुक्ला ने अपनी कविताओं से इस कार्यक्रम को मंजिल तक पहुंचाया। इस मौके पर कई लोगों को प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। संचालन पवन कुमार श्रीवास्तव (बाबू) सिविल जज पश्चिमी ने किया।

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