दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म गोंडी धर्म है जो माता पिता के सम्मान के साथ प्रकृति के संरक्षण की बात करता है और पेड़ पौधों की पूजा करता है। उक्त बातें कंशपुर दीयर गोंड बस्ती में आयोजित दो दिवसीय गोण्डी धर्म सम्मेलन के समापन में मुख्य अतिथि हीरा सिंह मरकाम ने कहीं। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिग एवं प्रकृति के दोहन से पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। ऐसे में गोंडी धर्म का प्रकृति प्रेम ही पर्यावरण में सुधार ला सकता है। नागपुर महाराष्ट्र के अध्यक्ष वासुदेव टेकाम ने कहा कि मातृ शक्ति एवं पितृ शक्ति की पूजा कर नारियों का सम्मान एवं पिता की महिमा का बखान किया जाता है। उन्होंने कहा कि पेड़ पौधों के साथ जड़ी बूटियों से लोगों को निरोग बनाया जा सकता है। गोंडी धर्म अपनाने वालों के लिए एक पेड़ लगाना जरूरी होता है। इस मौके पर काफी संख्या में लोगों ने गोंडी धर्म की दीक्षा ली। वक्ताओं ने बताया कि स्वामी विवेकानंद ने 1875 में शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन में गोंडी धर्म को प्रकृति धर्म बताया था। संचालन सुरेश गोंड ने किया। धर्म प्रचारक रावण इनवाते, संतोष राव ध्रुवे, बसंत लाल गोंड, हंसराज धु्रवे, विजय सिंह, छितेश्वर गोंड, अलगू गोंड, मनोज गोंड, सुदेश शाह आदि ने सहभागिता की। सम्मेलन में छत्तीसगढ़ एवं महाराष्ट्र के जनजाति नेताओं ने भी विचार व्यक्त किए तथा आदिवासी कलाकारों द्वारा परम्परागत नृत्य का प्रदर्शन किया गया।
गोंगपा की प्रदेश कमेटी गठित
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के दूसरे सत्र में प्रदेश कमेटी का गठन किया गया जिसमें विजय सिंह मरकाम प्रदेश अध्यक्ष तथा गोपाल जी खरवार प्रदेश महासचिव, अजय शंकर कोल उपाध्यक्ष, महेन्द्र कुमार गोंड, सचिव के अलावा कार्यकारिणी के 21 सदस्य भी चुने गये। पार्टी ने आगामी चुनाव में अपनी सीटों से प्रत्याशी उतारने का निर्णय लिया है।
Sunday, November 21, 2010
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