Friday, May 22, 2009

चेहरे की लालिमा में चार चांद लगाता बलिया, सिकन्दरपुर का गुलाबकंद !

बलिया। फूलों का राजा गुलाब। वह गुलाब जो सभी का पसन्दीदा है। सभी उसकी खूबसूरती और गंध के कायल हैं। गुलाब के फूल को सूंघने से दिमाग में एक अजीब ताजगी आ जाती है। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को तो गुलाब का फूल इतना पसन्द था कि आजीवन वह अपनी कोट में उसे लगाते रहे। वह भी गुणों से भरपूर सिकन्दरपुर का देशी गुलाब हो तो क्या कहना जो अनेक गुणकारी सामानों के उत्पादन का केन्द्र बिन्दु है। कहना न होगा कि गुलाब से यहां करीब आधा दर्जन ऐसी वस्तुएं बनायी जाती हैं जो शरीर के विभिन्न भागों के लिए काफी फायेदेमन्द हैं। इन सभी उत्पादों का नाम गुलाब से ही जुड़ा होता है, यथा गुलाब जल, गुलाब रोगन, गुलाब शर्करी, इत्र गुलाब आदि इसी के साथ गुलाब के फूल से उत्पादित एक अन्य वस्तु है जिसे गुलाबकन्द कहा जाता है। इसे सिकन्दरपुरी चवनप्राश भी कहा जाता है जो पेट के लिए काफी मुफीद तो है ही चेहरे पर लाली पैदा करने का काम करता है। शुद्ध देशी विधि से निर्मित गुणकारी इस वस्तु का सिक्का आज भी चल रहा है। इसकी मांग आज भी इतनी है कि निर्माता आपूर्ति देने में अपने को अक्षम पाते हैं। इसके मूल में गुलाब के पैदावार की कमी एक मुख्य कारण है। जहां तक गुलाबकन्द के बनाने की विधि की बात है तो इसका निर्माण काफी आसान तो है किन्तु श्रमशील है। गुलाब कन्द के निर्माण हेतु एक निश्चित मात्र में गुलाब का फूल और चीनी एक बडे़ बर्तन में रख लिया जाता है। गुलाब और चीनी को घण्टों हाथ से आपस में इस प्रकार मला जाता है कि यह हलुवा का रूप ले लेता है। बाद में उसे स्वादिष्ट बनाने हेतु अन्य वस्तुएं मिला धूप में रख दिया जाता है। धूप में रखने की प्रक्रिया कई दिन तक दोहरायी जाती है। जब उक्त हलुवा एक निश्चित रंग में आ जाता है तो उसे सुरक्षित रख लिया जाता है। इस प्रकार गुलाब कन्द तैयार कर उसे विक्रय हेतु बाजारों में भेज दिया जाता है। गुलाब कन्द जहां पेट को ठंडक पहुंचाने और गैस नाशक है। वहीं इसके बराबर सेवन से चेहरे पर लालिमा बनी रहती है। आज जरूरत है शुद्ध देशी विधि से तैयार इस उत्पाद को बढ़ावा देने की जो गुणकारी तो है ही शुद्ध भी है।

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