Friday, May 15, 2009

ढोंग नहीं मजबूत करना होगा ईमान : मौलाना फारूकी !

बलिया। वर्तमान भौतिकवादी युग में हम अल्लाह व कुरान से मुंह मोड़ रहे हैं। हम अपना किरदार, लिबास, भोजन आदि के साथ ही नबी के नापसंदीदा चीजों को ही अपनाते जा रहे हैं। हम ईमान वाला होने का ढोंग कर स्वयं को दागदार कर रहे हैं। उक्त बातें स्थानीय चौकियां मोड़ पर गुरुवार की देर शाम जमीउल इस्लाम बिल्थरारोड के तत्वाधान में आयोजित रहमते आलम कांफ्रेंस के तहत विशाल जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए लखनऊ के मौलाना अब्दुल अली साहब फारूकी ने कही। साथ ही मैनुद्दीन चिश्ती को सबसे बड़ा व सच्चा मुसलमान करार देते हुए कहा कि वर्तमान में बिगड़े हालात को सुधारने के लिये हमें अपने ईमान को मजबूत करना होगा व नबी के बताये रास्ते का अनुसरण करना होगा।

वहीं हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहेवसल्लम के शांति, अमन व भाईचारे के पैगाम का अनुसरण करने की अपील करते हुए देवरिया के कारी सुहैल अहमद ने आतंकवाद के विरुद्ध शंखनाद करते हुए आपसी भाईचारे को बनाये रखने की अपील की। साथ ही नातिया कलाम के तहत संदेश दिया कि वो जुल्मों जोर की दुनिया के आदी हो नहीं सकते, बहादुर हो तो सकते हैं, फसादी हो नहीं सकते, जहां हक है वहां से बस यही आवाज आती है, नबी वाले कभी आतंकवादी हो नहीं सकते। कारी महमूद आलम बलियावी ने कहा कि आतंकवाद किसी धर्म, मजहब व जाति से जुड़ा नहीं होता। इससे हर धर्म व जाति के लोग प्रभावित होते हैं। कुरान में भी चोरी करने वाले के दोनों हाथ काट देने का संदेश है। तभी चोरों व चोरी करने का ख्याल रखने वालों तक में दहशत बन सकेगा और ऐसी व्यवस्था की ही आवश्यकता है जिससे परिवर्तन संभव हो। उक्त कांफ्रेंस में मुख्य अतिथि के रूप में लखनऊ के हजरत मौलाना अब्दुल अली फारूकी, जौनपुर के सैय्यद मोहम्मद अजहर, वाराणसी के खुर्शीद अनवर के अलावा मुफ्ती अरशद, इमरान महमूद, मौलाना मंजूर, शराफत भाई, मौलाना सुबैर, आरिफ शकील, अतिउल्लाह, मो. आदिर, फारूख, नय्यर आलम, जैनुद्दीन, मो. दानिश, समीउल्लाह, जफर व नुमान समेत बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोगों ने भी शिरकत की। अध्यक्षता मौलाना तौफीक अहमद एवं संचालन मो. आसिफ आजमी व मुफ्ती मुनीर कासिमी ने संयुक्त रूप से किया।

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