Sunday, May 17, 2009

कटान पीड़ित : वक्त के थपेड़े ले रहे कड़े इम्तहान

बलिया। कटान पीड़ितों की जिन्दगी भी क्या जिन्दगी है। घर के नाम पर झुग्गी-झोपड़ी, तन पर गंदे-मैले कपड़े व झंझावात से जूझते इन मासूमों की जीवन गाथा आसमान से गिरे तो खजूर पर अटके की कहावत को ही चरितार्थ कर रही है। वक्त के थपेड़ों ने इन्हे कहीं का नहीं छोड़ा है। विषम परिस्थितियों में इन्हे मिले तो बस शासन-प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के कोरे आश्वासन जिनसे जिन्दगी कतई नहीं आगे बढ़ सकती। टीएस बंधा पर त्रासदी भरा जीवन गुजारना ही इनकी नियति बन गयी है।

बता दें कि घाघरा की कटान से विस्थापित होने के बाद टीएस बंधा पर भोजछपरा से नवकागांव तक करीब 10 किमी की लम्बाई में दोनों तरफ टाट-मड़ई लगा कर जीवन बसर कर रही लगभग 10,000 की आबादी विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है। साल-दर-साल बंधे पर कटान पीड़ितों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। आलम यह है कि बंधे पर शरण लेने के लिए आपस में मारामारी होती है। अब तो बंधे की मरम्मत के नाम पर इन्हे जगह छोड़ने का अल्टीमेटम भी मिल चुका है। इसको लेकर इन्होंने अपना आशियाना हटाना भी शुरू कर दिया है। इनकी बदहाली व त्रासदी देखकर एक बार रोंगटे खडे़ हो जाते हैं। समाज से हर तरह से कटे व अभाव झेल रहे यह लोग किसी नेता व अधिकारी के आने पर उसकी तरफ दौड़ पड़ते हैं। बंधे पर आने वाले हर शख्स की तरफ टकटकी लगाये रहते हैं कि काश कोई तारनहार आ जाय और वास्तविक दु:ख दर्द को समझ उससे निजात दिलाये। बंधे पर शरण लिये विस्थापितों की मुख्य समस्या प्लाट, आवास, राशन, स्वच्छ पेयजल तथा पशुओं के लिए चारा एवं बच्चों की शिक्षा-दीक्षा है। बंधे पर दोनों तरफ शरण लिये तमाम दुश्वारियों के बीच जी रहे इन लोगों का पीछा बीमारियां भी नहीं छोड़ती। बाढ़ व कटान के समय तमाम प्रशासनिक अधिकारी यहां कई बार आये और विस्थापितों की समस्याओं को करीब से देखा व समझा किन्तु इनकी समस्या के समाधान के लिए कुछ खास नहीं कर पाये।


निरोधक कार्यो में तेजी की हिदायत भी बेअसर

रेवती (बलिया), निप्र: जिलाधिकारी पंकज कुमार व चीफ इंजीनियर मण्डल गोरखपुर राधा रमण द्वारा बाढ़ व सिंचाई विभाग को 15 मई तक स्थानीय विकास खण्ड के दत्तहा व तिलापुर में सम्भावित बाढ़ व कटान से बचाव हेतु बंधे की मरम्मत कार्य पूर्ण कर लेने हेतु निर्देश दिया गया था लेकिन समयावधि बीत जाने के बावजूद अभी तक कार्य पूर्ण नहीं हो पाया है। इधर सिंचाई विभाग द्वारा 31 मई तक कार्य योजना पूर्ण होने का दावा किया जा रहा है। इसके बावजूद तटवर्ती ग्रामीणों को कार्य पूर्ण होने पर संशय बना हुआ है।

घाघरा का जलस्तर इस समय अब भी बढ़ाव पर किंतु स्थिर है। पिछले दिनों लगातार पुरवा हवा के थपेड़ों के चलते सेमरा में एक से दो लट्ठा कृषि योग्य भूमि घाघरा में समाहित हो गयी। शिवपुर सेमरा निवासी श्रीभगवान यादव अध्यापक बताते है कि इस बार शिवपुर सेमरा व मांझा गांव के घाघरा में समाहित होने का खतरा बना हुआ है। तिलापुर ग्रामवासी सुनील सिंह ने बताया कि 14/15 मई की रात तिलापुर में 5 से 10 फीट जालीदार बोल्डर घाघरा में समाहित हो गया। घाघरा के जलस्तर में 2 फीट वृद्धि के चलते बंधे के अरार के नीचे रखी गयी बालू भरी बोरियां घाघरा के पानी में पहले से डूबी हुई हैं। कटान विस्थापित डा. गंगा सागर यादव बताते हैं कि इधर बोल्डर की कमी के चलते दो दिनों तक बोल्डर फेंकने का काम लगभग ठप रहा। ठेकेदारों को बोल्डर नहीं मिल रहे हैं, जो बोल्डर उपलब्ध हैं उनकी सूची नहीं दर्ज होने से निरोधात्मक कार्य कच्छप गति से चल रहा है। वैसे यदि बरसात से पहले तिलापुर में निरोधात्मक कार्य नहीं पूरा हुआ तो रेवती कस्बा सहित किनारे पर बसे दर्जनों गांवों के घाघरा की बाढ़ में समा जाने की आशंका बढ़ जायेगी।

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