Sunday, May 3, 2009

जाति धर्म की संकीर्ण भावना का परित्याग जरूरी !

बलिया। क्षेत्र के सदगुरू योधन साहब विहंगम योग संस्थान मलवार के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक सत्संग समारोह रविवार को भण्डारा के आयोजन के साथ सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सत्संग विचार गोष्ठी एवं कवि सम्मेलन के कार्यक्रम आयोजित थे जिनमें बलिया सहित प्रदेश के विभिन्न स्थानों मप्र, बिहार, हरियाणा, दिल्ली आदि के हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर संस्थान के संस्थापक संत रामलाल यादव ने अपने प्रवचन में छुआछूत, जाति व धर्मवाद के समापन और समरस समाज के स्थापन पर बल दिया। कहा कि मानव समाज एक है तथा जब तक जाति व धर्म की संकीर्ण भावना समाप्त नहीं होगी तब तक एक बेहतर समाज के निर्माण की कल्पना बेमानी है। अध्यक्षीय सम्बोधन में संत राजेन्द्र मौर्य ने विहंगम योग की महत्ता के बारे में चर्चा की। उदय नारायन ने अतिथि सेवा के महत्व पर प्रकाश डाला। सत्संग में भाग लने वाले प्रमुख लोगों में संत चैत साहब, गईया बाबा, धाकड़ जी, प्रेमलाल लोधी, भोजपुरी भूषण नन्द जी नन्दा, अमरेश यादव, अमन प्रसाद आदि शामिल रहे।

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