Monday, May 4, 2009

क्रय केन्द्र का फंडा: अपना कांटा लाओ जल्दी जाओ

बलिया। कहने को तो अपने कृषि प्रधान देश की धरती गेहूं व धान के रूप में सोना उगलती है। इस सोने से पूरे देश का पेट भरता है फिर भी इन किसानों के दर्द को दूर करना तो दूर, इसे समझने को भी शायद किसी के पास फुर्सत नहीं है। धान-गेहूं उगाने के दौरान तो किसान डीएपी व यूरिया की किल्लत झेलते ही हैं अब गेहूं को मंडी व क्रय केन्द्रों तक पहुंचाने की समस्या से जूझ रहे हैं। जहां उन्हे व्यक्तिगत से लेकर संसाधन के जुगाड़ तंत्र का सहारा लेना पड़ रहा है। क्योंकि यहां सबसे पहले छोटे व बड़े काश्तकार के फासले से निपटना पड़ता है। अब इसे अधिकारियों व कर्मचारियों की लालफीताशाही कहें या किसानों की कमजोरी जो इस व्यवस्था का विरोध तक नहीं कर पाते। यही कारण है कि इन दिनों क्रय केन्द्रों की व्यवस्था का लाभ पाने से छोटे किसान तो वंचित हो ही रहे है साथ ही अब दूर भी होते जा रहे हैं। विभागीय क्रय केन्द्रों में किसानों को पहले नंबर लगाने व उसके बाद नंबर आने की जद्दोजहद झेलनी पड़ती है। फिर केन्द्र पर लाकर कांटा तक पहुंचाने का काम करना पड़ता है। हालांकि विभाग द्वारा अघोषित रूप से चलाया जा रहा फंडा कि साथ में कांटा लाओ-जल्दी जाओ कुछ बड़े काश्तकारों को तो लाभ दे रहा है जो अपने साथ गेहूं को तोलने के संसाधन भी लाते हैं और अपने ही मजदूरों से तौलवाने के बाद आराम से चले जाते हैं किंतु ऐसे में वे छोटे किसान उपेक्षा के शिकार हो जाते हैं जो अपना गेहूं देने के लिये दो से तीन दिन तक मंडी व क्रय केन्द्र पर ही जमे होते हैं। लगभग यही हाल स्थानीय बिठुआ मार्ग स्थित क्रय विक्रय सहकारी समिति, मधुबन मार्ग स्थित एफसीआई क्रय केन्द्र व कृषि मंडी के क्रय केन्द्र का भी है।

स्थानीय एफसीआई केन्द्र पर अपने गेहूं विक्रय के लिये पहुंचे शाहपुर अफगा निवासी कमला प्रसाद ने बताया कि केन्द्र के अधिकारियों की व्यवस्था कहीं से भी किसानों के हित में नहीं है।

वहीं स्थानीय कृषि मंडी के क्रय केन्द्र पर अपनी बारी का इंतजार कर रहे छिटकियां गांव निवासी विजय बहादुर यादव ने बताया कि गत 28 अप्रैल को नंबर लगाने के बाद एक मई को गेहूं देने हेतु बुलाया तो गया किंतु गेहूं के साथ लगातार चक्कर लगाने के बावजूद आज तक गेहूं की खरीदारी नहीं की जा सकी है।

मिश्रवली मसांव गांव निवासी प्रेमनारायण यादव व मनोज मिश्रा ग्राम मिश्रवली ने विभाग की कार्यप्रणाली पर असंतोष व्यक्त किया। कहा गेहूं विक्रय हेतु तौल के लिये कांटा से लेकर सुतली व सुआ तक किसानों से ही मांगे जाते हैं।

तुर्तीपार निवासी रामजीत सिंह ने बताया कि उनका क्षेत्र बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में आता है जहां वर्ष में मुश्किल से एक ही फसल हो पाती है। बताया इसी गांव निवासी भगवती सिंह के घर उसकी बेटी की शादी इसी माह होना तय है जिसकी तैयारी के लिये अगर समय से उसकी गेहूं की खरीदारी नहीं की गयी तो शायद ही वह अपनी बिटिया की शादी कर पाये। यही कारण है कि वह मजबूरन अपना गेहूं बिचौलियों को भी देने को विवश हो गया है।

ब-

पेस्ट

पर्याप्त आ गयी है बोरी, अब नहीं होगी कमी: एसडीएम

बिल्थरारोड : गेहूं क्रय हेतु केन्द्रों पर होने वाली बोरी की किल्लत की समस्या जल्द ही दूर हो जायेगी। उक्त बातें एसडीएम कैलाशनाथ वर्मा ने कही। बताया कि किसानों द्वारा गेहूं क्रय के दौरान केन्द्रों पर अक्सर परेशानी तो झेलनी पड़ती है किंतु सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही इससे निजात मिल जायेगी क्योंकि बोरी की रेक आजमगढ़ तक आ चुकी है और जल्द ही यहां भी उपलब्ध हो जायेगा।

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