Wednesday, May 6, 2009

गरीबों का बारह हजार कुंतल खाद्यान्न आखिर जाता है कहां ?

बलिया। हर महीने सरकार गरीबों के लिए उपलब्ध कराती है लगभग 12 हजार कुंतल खाद्यान्न फिर भी इन दिनों गरीब फांकाकशी के शिकार है। आखिर कहां जाता है सरकार द्वारा रियायती दर से दिया जाने वाला यह खाद्यान्न।

मामला बैरिया तहसील क्षेत्र में सार्वजनिक वितरण प्रणाली का है जहां बैरिया विकास खण्ड क्षेत्र के कोटेदारों को अत्यन्त गरीबों को दिया जाने वाला बीपीएल का प्रतिमाह 1309.50 कुंतल गेहूं, 1746.60 कुंतल चावल व अन्त्योदय का 558 कुंतल गेहूं, 1395 कुंतल चावल वहीं मुरली छपरा में बीपीएल के तहत 1313.30 कुंतल गेहूं, 1480.40 कुंतल चावल, अन्त्योदय योजना के तहत 495 कुंतल गेहूं, 1237 कुंतल चावल, रेवती आंशिक में बीपीएल का 488.40 कुंतल गेहूं व 651.20 कुंतल चावल, अन्त्योदय का 200.30 कुंतल गेहूं व 500.60 कुंतल चावल यानी कुल लगभग 12 हजार कुंतल खाद्यान्न गरीबों को रियायती दर पर देने के लिए आता है। फिर भी क्षेत्र में भूखे पेट सोने वालों की संख्या कम नहीं हो रही है। सरकार एक तरफ दावा करती है कि भूखे पेट किसी गरीब को सोने नहीं दिया जाएगा वहीं दूसरी ओर कार्ड होने के बावजूद पात्रों को अपेक्षित खाद्यान्न नहीं मिला पाता। आखिर कहां चला जाता है यह खाद्यान्न, क्या गरीबों के पास राशन कार्ड नहीं है या उनके पास उठान करने में पैसे का अभाव है या फिर कालाबाजारी व भ्रष्टाचार।

सरकार गरीबों का जीवन स्तर उठाने के लिए बहुत सारी घोषणाएं कर चुकी है, दर्जनों कार्यक्रम लागू किए गए हैं, फिर भी परिणाम ढाक के तीन पात। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों की दिनोंदिन ऊंची होती अट्टालिकाएं व गाड़ियों की बढ़ती संख्या में कहीं न कहीं गरीबों का हक समाहित हो गया है जिससे गरीब और गरीब तथा धनी और धनी होते जा रहे हैं। पिछले पांच वर्षों से प्रकृति की प्रतिकूलता के कारण किसानों की कमर टूट गई है। ऐसे में फांकाकशी और भूखे पेट सोने के अलावा मजदूरों व किसानों के पास कोई अन्य विकल्प नहीं है।

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