Thursday, May 14, 2009

कटान का रुख देख इलाकाई दहशत में

बलिया। दियरांचल के आधा दर्जन ग्रामसभाओं को खुद में समाहित करने के बाद घाघरा ने टीएस बंधे के दक्षिण बसे दर्जनों ग्रामसभाओं की लगभग एक लाख की आबादी का चैन छीन लिया है। कटान तेज होने से बंधे के अस्तित्व पर भी खतरा मंडराने लगा है।

तटवर्ती ग्रामीणों का मानना है कि 50 वर्ष पुराने बंधे व एक करोड़ रुपये से अधिक का बोल्डर खर्च करने के बावजूद जब सिंचाई व बाढ़ विभाग पूर्व प्रधान के घर व बंधे को नहीं बचा पाये तो इस समय बंधा के 69.300 से 70.200 किमी के बीच लगभग 800 मी. की लम्बाई में बन रहा सर्पोटिंग बंधा घाघरा के वेग को कैसे झेल पायेगा। हाल यह है कि दत्तहां से पूरब तिलापुर की तरफ एक किमी की लम्बाई में पुराने बंधे की जगह नया सर्पोटिंग बंधा बनाने की जो कवायद चल रही है उस पर एक-एक फीट धूल की पर्त बिछ गयी है। सिवाय टै्रक्टर के कोई दूसरा वाहन बंधे पर नहीं जा पा रहा है। रेवती दत्तहां मार्ग से तिलापुर जाने वाला सम्पर्क मार्ग काफी क्षतिग्रस्त है। इस बार घाघरा का दबाव पुन: तिलापुर में बन रहा है। तिलापुर में जो सर्पोटिंग बंधा बन रहा है वहां नीचे सीधे तौर पर नदी बंधा से सटी है। ऐसे में आशंका व्यक्त की जा रही है कि नयी भुरभुरी मिट्टी व बिना कुआं बनाये फेंके गए बोल्डर का कटान शुरू होने पर कोई पता नहीं चल पायेगा। तिलापुर में इस बार 15 करोड़ की कार्य योजना पर कार्य चल रहा है। तिलापुर से पश्चिम 65.300 से 69 किमी के बीच दत्तहां से पूरब व पश्चिम 14 करोड़ की कार्य योजना के तहत 12 स्पेल के निर्माण की कवायद चल रही है। बाढ़ व सिंचाई विभाग द्वारा दावा किया जा रहा है कि 31 मई तक कार्य योजना पूर्ण हो जाएगी इसके बावजूद इलाकाई कटान को लेकर काफी सशंकित हैं।

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