Monday, June 15, 2009

शिक्षण अधिगम में प्रभारी भूमिका निभा सकते संचार माध्यम

बलिया। स्थानीय सतीशचन्द्र कालेज इग्नू अध्ययन केंद्र पर चल रहे बीएड कार्यशाला के आठवें दिन प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए समन्वयक डा. रामशरण पाण्डेय ने कहा कि जनसंचार माध्यमों के द्वारा सामाजिक रूपांतरण अनिकर्मत: किया जा सकता है। इसलिए शिक्षा को निश्चित रूप से सामाजिक परिवर्तन एवं रूपांतरण का कार्य करना चाहिए। प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए डा. एसबी सिंह ने कहा कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में रेडियो, दूरदर्शन एवं समाचार माध्यम प्रभावी भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। जनसंचार माध्यमों के द्वारा छात्रों के मौखिक तथा लिखित संप्रेषण कौशलों का विकास कर शिक्षा के प्रति एक व्यापक दृष्टिकोण विकसित किया जा सकता है। द्वितीय सत्र को संबोधित करते हुए डा. ओंकार सिंह ने कहा कि स्थानीय संसाधनों पर आधारित हस्तनिर्मित सामग्री जैसे दियासलाई की तिल्ली, मोमबत्ती, टूथपेस्ट के ढक्कन, चार्ट पेपर के द्वारा छात्रों में सहयोग की भावना एवं सृजनात्मक प्रवृत्ति को विकसित किया जा सकता है। इस प्रकार शिक्षण सहायक सामग्री के द्वारा शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को सरल, सरस एवं सजीव बनाया जा सकता है। तृतीय सत्र को संबोधित करते हुए डा. अरविन्द उपाध्याय ने कहा कि कक्षा शिक्षण में शिक्षक मार्गदर्शक, परामर्शदाता की भूमिका का निर्वाह कर सकता है। इसके साथ ही बालकों को व्यावसायिक मार्ग दर्शन, सामाजिक रूप से पिछड़े बच्चों, गरीब बच्चों, मंदगति अध्येताओं को मार्ग दर्शन दिया जा सकता है। चतुर्थ लघु सत्र विभिन्न विषयों जैसे हिन्दी, अंग्रेजी, सामाजिक विषय, गणित एवं विज्ञान में शिक्षण सहायक सामग्री के प्रयोग पर केंद्रित रहा। डा. देवेन्द्र सिंह ने कहा कि अंग्रेजी शिक्षण को सरल से कठिन की तरफ अग्रेसित करने हेतु सहायक सामग्री के रूप में माडल, चार्ट प्रभावी भूमिका का निर्वाह कर सकते हैं। वहीं डा. अनुभी शुक्ला ने हिन्दी शिक्षण में सहायक सामग्री के माध्यम से सौंदर्यानुभूति एवं विचार विश्र£ेषण विकसित करने पर बल दिया। डा. नित्यानन्द तिवारी ने विज्ञान शिक्षण में प्रयोगशाला विधि के अनुप्रयोग पर बल दिया। डा. विनोद यादव ने सामाजिक अध्ययन शिक्षण में योजना विधि, अशोक कुमार तिवारी ने गणित विषय के द्वारा सृजनात्मकता, गणितीय योग्यता एवं तर्कशक्ति विकसित करने पर जोर दिया।

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