Tuesday, April 19, 2011

मजा देसी खेलों का !

इस बार दादी-नानी के घर जाकर तुम देसी खेलों का भरपूर आनंद उठा सकते हो। अगर शहर में रहकर तुम्हे इन खेलों की जानकारी नहीं है, तो कुछ खास खेलों के बारे में यहां जान लो..

गुल्ली-डंडा

लकड़ी की गुल्ली अमूमन 3 से 6 इंच की होती है, वहीं डंडा 12 से 18 इंच तक लबा हो सकता है। जमीन पर एक छोटा घेरा बनाया जाता है। गुल्ली को घेरे के ऊपर रखा जाता है। एक खिलाड़ी (स्ट्राइकर) डंडे से गुल्ली को हवा में उछालता है। इस दौरान यदि विपरीत दिशा में खड़ा खिलाड़ी गुल्ली को कैच कर लेता है, तो स्ट्राइकर आउट माना जाता है। यदि गुल्ली जमीन पर गिरती है, तो सामने वाला कोई खिलाड़ी (फील्डर) घेरे के ऊपर रखे डंडे को तीन बार हिट करता है। यदि वह कामयाब हो जाता है, तो स्ट्राइकर आउट माना जाता है। यदि वह कामयाब नहीं हो पाता, तो स्ट्राइकर तीन बार डंडे के सहारे गुल्ली को हवा में उछालता है और उसके प्वाइंट्स बनते हैं। सबसे अधिक प्वाइंट्स लेने वाला खिलाड़ी गेम जीत जाता है।

कबड्डी

मैदान के बीचो-बीच एक रेखा खींची जाती है। यह खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिसमें सात-सात खिलाड़ी होते हैं। मैदान के बीचों-बीच टीम का एक खिलाड़ी (छापामार) एक सास में कबड्डी-कबड्डी बोलता हुआ दूसरी टीम के क्षेत्र में जाता है। विपक्षी टीम एक घेरा बनाकर उसे पकड़ने की कोशिश करती है। यदि वह पकड़ा जाता है और उसकी सास टूट जाती है, तो वह आउट माना जाता है।

खो-खो

यह दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी शामिल होते हैं। एक निश्चित दायरे के अंदर अलग-अलग टीम के खिलाड़ी दौड़ लगाते हैं। उन्हें छूने के लिए दूसरी टीम का कोई एक खिलाड़ी उनके पीछे भागता है। यदि वह विपक्षी टीम के किसी एक खिलाड़ी को छू देता है, तो वह खिलाड़ी आउट माना जाता है।

पचीसी

यह खेल समुद्र या नदी में पाए जाने वाले छोटे सीप (कौड़ियों) की सहायता से खेला जाता है। दो अलग-अलग टीमें कुछ कौड़ियों को एक निश्चित दूरी तक फेंकती हैं, जिससे स्कोर बनता है। जिस टीम का स्कोर 25 हो जाता है, वह जीत जाता है।

विष-अमृत

कोई एक खिलाड़ी बाकी खिलाड़ियों को दौड़कर छूता है और उसे आउट (विष) करता है। बाकी खिलाड़ी चालाकी से आउट हुए खिलाड़ी को छूकर दोबारा खेल में शामिल (अमृत) कर लेते हैं।

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