क्रांतिभूमि बलिया से प्रस्फुटित प्रथम चिंगारी के प्रणेता मंगल पाण्डेय के साहस और बलिदान की पृष्ठभूमि से निकली आजादी की अक्षुण्णता तभी सलामत रहेगी जब स्वतंत्र भारत की संप्रभुता की रक्षा सुरक्षा के प्रति आम भारतीय सतर्क होकर भारत के नव निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये।
उक्त विचार शुक्रवार को अमर शहीद मंगल पाण्डेय के 154 वें शहादत दिवस के अवसर पर स्थानीय कदम चौराहा पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने व्यक्त किया। भारत को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देश के अमर बलिदानियों की चर्चा करते हुए श्रीमती बहुगुणा ने कहा कि हमें आर्थिक आजादी प्राप्त करने के लिए एक नयी क्रांति की शुरूआत करनी है। कहा केंद्र द्वारा प्रदेश के विकास के लिए दिये गये धन का राज्य सरकार ने जिस तरह बंदरबांट किया वैसी परिस्थिति में ऐसी हुकूमत को सत्ता से हटाने के लिए जनता को आगे आना होगा। प्रदेश सरकार की मुखिया का नाम लिये बिना डा.जोशी ने कहा कि प्रदेश शासन के इशारे पर जातीय हिंसा की लपटों से पूरा मुल्क हैरान है। कहा कि बलिया जनपद का डेहरी गांव प्रदेश सरकार की जातिगत नीतियों में झुलसकर रह गया। प्रदेश में महिलाओं की अस्मिता खतरे में है। इसके पूर्व कदम चौराहे स्थित मंगल पाण्डेय की प्रतिमा के समक्ष च्योहिं डा.जोशी का काफिला रूका वहां पहले से इंतजार कर रहे कांग्रेसजनों ने उतरते ही उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर डा.जोशी ने मंगल पाण्डेय की मूर्ति पर माल्यार्पण कर अमर शहीद मंगल पाण्डेय को नमन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में शहीद मंगल पाण्डेय स्मारक समिति कदम चौराहा के अध्यक्ष शशिकांत चतुर्वेदी ने डा.जोशी के सम्मान में अभिनंदन पत्र पढ़कर सुनाया तथा मंगल पाण्डेय की आकृति स्मृति चिन्ह उन्हें भेंट किया। इसके बाद मुख्य अतिथि ने मंगल पाण्डेय के जीवनवृत्त पर आधारित प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया। सभा को विशिष्ट अतिथि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा.भोला पाण्डेय, राजेश मिश्र, दिग्विजय सिंह, राघवेंद्र सिंह, बच्चा पाठक, राजधारी सिंह, सुरेंद्र सिंह, बृजेश सिंह गाट, अनूप पाण्डेय, डा.विश्राम यादव, पीएन तिवारी, रवींद्र दूबे, अवध बिहारी चौबे, राजनाथ पाण्डेय आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता डा.जनार्दन राय व संचालन राजकुमार पाण्डेय ने किया।
इसी क्रम में शहीद मंगल पाण्डेय के पैतृक ग्राम नगवां में देर शाम आयोजित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समारोह में सेनानी संगठन की अध्यक्ष राधिका मिश्रा, शहीद मंगल पाण्डेय की पौत्रवधू तेतरी देवी एवं सेनानी उत्तराधिकारी नारायण मिश्र, अशोक पाण्डेय, धर्मदेव तिवारी एवं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिवजी पाठक, क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्मला देवी एवं जादूगर ओपी शर्मा को सम्मानित करने के बाद उप्र कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि बलिया ने पूरे राष्ट्र का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो लूट, हत्या, आत्महत्या जैसे घृणित कार्य में लिप्त इस सरकार के कृत्य ने लोकतंत्र को शर्मसार किया है। जो सपना हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनाननियों ने देश की आजादी के लिए देखे थे उनके सपनों को विखंडित नहीं होने दिया जायेगा। शहीद मंगल पाण्डेय स्मारक सोसाइटी के मंत्री ओम प्रकाश तिवारी ने डा.जोशी को अंगवस्त्रम से सम्मानित किया। कार्यक्रम में बच्चा पाठक, डा. भोला पांडेय, दिग्विजय सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह, मारकण्डेय सिंह, यतेंद्र बहादुर सिंह, अवध बिहारी चौबे, परिपूर्णानंद पाण्डेय, विजय मिश्र, परमात्मा चौबे, उषा सिंह, विजयानंद पाण्डेय, ओमप्रकाश पाण्डेय, राजेश पाठक, राकेश पाठक, रामेश्वर तिवारी आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजीव उपाध्याय व संचालन ओमप्रकाश तिवारी ने किया। इसी क्रम में डीपी ज्वेलर्स चौक बलिया स्थित प्रमोद सर्राफ के आवास पर श्रीमती जोशी वहां गयीं जहां व्यापारी वर्ग के लोग उनसे मिले तथा अपनी समस्याओं से अवगत कराया।
=> चित्र परिचय-कदम चौराहे पर आयोजित मंगल पाण्डेय शहादत दिवस कार्यक्रम में रीता बहुगुणा जोशी को मंगल पाण्डेय स्मृति चिन्ह प्रदान करते आयोजक।
=> चित्र परिचय-शहीद के पैतृक गांव नगवां में आयोजित कार्यक्रम में देररात स्वतंत्रता सेनानी संगठन के अध्यक्ष राधिका मिश्र को सम्मानित करते डा. जोशी।
Are babu photo ta chhpale naikhe. ka dhekhin ja hamni ke. tani dhyan dihal karalo bhai.
ReplyDeleteधैर्य और सत्साहस को सलाम
ReplyDeleteसंकट और प्राकृतिक आपदाओं में
प्रायः टूट से जाते हैं सामान्य लोग,
हो जाते है बहुत निराश और भ्रमित.
किन्तु देखो जरा साहसी जापान को,
इस घोर आपदा..की बेला में भी..;
है कितना क्रियाशील और संयमित.
है अत्यंत सराहनीय - प्रशंसनीय
जापानियों की दुर्घर्ष जिजीविषा,
अदम्य साहस, अनुपम निष्ठा-धैर्य.
और पुनः - पुनः संभल उठने की
उसकी अद्भुत कला, जीवन शैली.
है वह जानता भलीभांति अब...
रोने से नहीं है काम चलनेवाला.
दिखावे वाले, नकली आंसू वाले,
साथ निभाने का वादा करनेवाले,
आज मिल जायेंगे बहुत ढेर सारे..
लेकिन आगे खुद ही आना होगा,
तो क्यों न तैयार कर लिया जाय,
स्वयं को ही, लाभ क्या निराशा से?
है यह निश्चितरूप से उनके लिए -
एक 'परीक्षा' और 'अपेक्षा' की घड़ी.
लेकिन परीक्षार्थी के लिए अपेक्षा से
कहीं बहुत महत्वपूर्ण है यह 'परीक्षा'.
यह परीक्षा ही करती है प्रशस्त मार्ग;
उन्नत उज्ज्वल भविष्य का निर्धारण.
अपेक्षा तो बनाती है परावलम्बी,
यह है बाधक बनने में स्वावलंबी.
फिर भी है इसका तात्कालिक महत्व.
लेकिन केवल तात्कालिक, प्राथमिक.
जो लोग बना लेते हैं अपेक्षा को ही
अपना मूल धरातल, बन जाते हैं वे
आग्रही - दुराग्रही और परावलम्बी.
धन्य है जापान का अदम्य साहस,
आत्मबल, यह धैर्य और सत्साहस.
उसकी अद्भुत जिजीविषा को सलाम.
जिसके दम पर कर लेगा पुनर्निर्माण.