Monday, April 4, 2011
फटी बरसाती व कपड़े टांग जी रहे जिंदगी !
कहने को तो कागजों में केंद्र व सूबे की सारी योजनायें दलितोन्मुखी हैं। पर कड़वा सच है कि आजादी के छ: दशक बीत जाने के बाद भी कोटवां गांव में खास किस्म की दलित जाति के लोगों को रहने के लिए एक अदद आवास नहीं मिल सका, मजबूरन वे लोग आज भी सड़क के किनारे झोपड़ी लगाकर अपने बाल बच्चों के साथ जीवन बसर कर रहे है। यह और टीसने वाली बात है कि उत्तर प्रदेश सरकार दलितों के सर्वागीण विकास व उन्हें सभी जरूरी सुविधायें नि:शुल्क उपलब्ध कराने की ढिंढोरा पीटती आ रही है। उल्लेखनीय है कि इस दलित जाति विशेष के दर्जनों परिवार रानीगंज बाजार के उत्तरी छोर पर पंचायत भवन के निकट सड़क के किनारे ठौर बनाकर काफी दिनों से जीवन बसर कर रहे है। दिन भर सूप, डाल, दउरी बनाकर उसे रानीगंज बाजार में बेचकर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करते है। उन्हे पता ही नहीं है कि सरकार द्वारा उनके कल्याणार्थ कौन-कौन से कार्यक्रम चलाये गये है। गौरतलब है कि इनमें के कुछ परिवारो को देवकी छपरा गांव के समीप आवासीय पट्टा उपलब्ध कराया गया किन्तु वह पर्याप्त नहीं है। यहां बसे उक्त जाति के लोगों का कहना है कि कोई भी मुख्यमंत्री कोई भी प्रधानमंत्री हो, उनका दिन फिरने वाला नहीं है क्योंकि सरकार में बैठे लोग केवल अपना भला सोच रहे है, हम लोगों से इनको क्या मतलब।
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