
Thursday, April 28, 2011
आदर देने वाला ही सम्मान का हकदार !

Wednesday, April 27, 2011
अंग फड़कना भी होता है शुभ-अशुभ !
Tuesday, April 26, 2011
डेयरी खोल बने युवाओं के रोल मॉडल !

रोज बिकता है डेढ़ से दो सौ लीटर दूध
महज तीन गायों से शुरू हुआ विनोद का डेयरी उद्योग अब ऊंचाइयों को छू रहा है। डेयरी से रोजाना 150-200 लीटर दूध की बिक्री होती है। प्रति लीटर 17 से 18 रुपये लीटर की दर से अर्थात यदि रोजाना 150 लीटर दूध 17 रुपये प्रति लीटर की भाव से भी बिका तो एक दिन का 2550 रुपये, एक महीने का 76,500 रुपये और एक साल का नौ लाख 17 हजार रुपये। गायों की खानपान व रख-रखाव में आए खर्च व उद्योग में लगे युवाओं की पगार मजदूरी को निकाल दिया जाय तो भी घर बैठे लाखों की सालाना कमाई।
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना भी उपलब्ध
विनोद ने डेयरी की स्थापना में किसी प्रकार की सरकारी सहायता नहीं ली है लेकिन उनका कहना है कि सरकारी स्तर पर शिक्षित बेरोजगारों के लिए प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना (पुराना नाम प्रधानमंत्री रोजगार योजना) संचालित है जिसका भरपूर लाभ युवाओं को उठाना चाहिये।
अधिकतम 25 लाख का मिलता है लोन
जिला उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक शिवलाल बताते है कि लाभ लेने के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता 8वीं पास है। योजना के तहत बेरोजगार युवा को अधिकतम 25 लाख का लोन दिया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्र के सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को लोन का 25 प्रतिशत तथा एससी-एसटी महिला व ओबीसी के अभ्यर्थियों के लिए 35 प्रतिशत छूट की व्यवस्था है।
आम के आम गुठलियों के दाम
इसे ही कहते है आम के आम गुठलियों के भी दाम। विनोद के डेयरी फर्म से रोजाना 150 से 200 लीटर दूध की बिक्री तो हो ही जाती है, गाय व उनके बछड़े, बछियों का गोबर भी अच्छी खासी रकम दे जाता है। विनोद ने बताया कि गोबर 700 रुपये प्रति ट्राली की दर से आसानी से बिक जाता है जिससे मवेशियों का चारा खरीद लेते हैं। यही नहीं सब्जी की खेती करने वाले किसान भी गोबर ले जाते हैं।
करायी सैर, जैम जेली बनाना भी सिखाया !

चार बड़ी बसों में सवार इन बालिकाओं को कार्यक्रम के अनुसार सर्वप्रथम नगर स्थित भृगु जी मंदिर, बालेश्वर मंदिर, रेलवे स्टेशन, कलेक्ट्रेट, कम्पनी बाग, विकास भवन, पोस्ट आफिस, पुलिस कार्यालय दिखाया गया और उसके बारे में जानकारी दी गयी। सरकारी उद्यान में छात्राओं को फलों को संरक्षित कैसे करें इसकी जानकारी फल संरक्षण प्रभारी विशन सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि आफ सीजन में इन फलों को कैसे सुरक्षित रखा जाता है। इसके बाद यह टूर नगर के बाहर निकला और मां कपिलेश्वरी भवानी मंदिर कपूरी, मां मंगला भवानी मंदिर उजियार व डाकबंगला कोरण्टाडीह का भ्रमण कर शाम को वापस लौटा। नगर शिक्षा अधिकारी एके झा की मौजूदगी में नगर पालिका अध्यक्ष संजय उपाध्याय ने हरी झण्डी दिखाकर काफिले को रवाना किया। नगर क्षेत्र समन्वयक मो. वजैर के नेतृत्व में निकले इस टूर में पूर्व समन्वयक शिव प्रसाद पाण्डेय, इश्तियाक अहमद, शहाबुद्दीन खां, सरताज जमानी, हुस्न बानो, इन्दू सिंह, अर्चना पाण्डेय, सविता, पूजा मिश्रा, प्रमोद चन्द्र तिवारी, संजय कुमार सिंह, रविशंकर, नूर जहां बेगम आदि अध्यापक गण भी साथ रहे। इस टूर में कन्या जूनियर हाईस्कूल चौक, इन्दिरा कन्या जूनियर हाईस्कूल व जूनियर हाईस्कूल भृगुआश्रम की 200 छात्राएं शामिल रहीं।
Thursday, April 21, 2011
दृढ़ इच्छाशक्ति से मिलती कामयाबी !

प्यासे को पानी पिलाना सबसे बड़ा पुण्य कर्म !

यह बातें डा.डी प्रसाद ने कहीं। वे जनता फ्रंट जिला कमेटी के तत्वावधान में गुरुवार को कदम चौराहा पर नि:शुल्क प्याऊ के उद्घाटन के पश्चात मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनों को सम्बोधित कर रहे थे। फ्रंट के जिला संयोजक व पूर्व सभासद ददन यादव ने कहा कि भीषण गर्मी में राहगीरों का पानी ही सहारा है अत: इस पुनीत कार्य को फ्रंट के सभी सदस्य जिम्मेदारी पूर्वक करते है। पार्टी के जिला महासचिव व जनता शिक्षण सेवा संस्थान कम्प्यूटर टेकिन्कल कालेज के प्रबंधक राजेश कुमार द्विवेदी राजेश्वर ने कहा कि जीवन को परिपोषित करने में नीर की अहम भूमिका है। अत: जल ही जीवन है इस बात का सदैव ख्याल रखते हुए प्याऊ खोलने जैसे धार्मिक कार्यो में सभी बुद्धिजीवियों को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। इस अवसर पर फ्रंट के कोषाध्यक्ष वीरेन्द्र प्रसाद वर्मा, सुनील पाण्डेय, सोना सिंह, सोनू तिवारी, अम्बादत्त पाण्डेय, सुनील ओझा, अन्नू जी, अनिल चौरसिया, चन्दन सिंह, नवीन मिश्र आदि उपस्थित रहे।
Tuesday, April 19, 2011
मजा देसी खेलों का !

गुल्ली-डंडा
लकड़ी की गुल्ली अमूमन 3 से 6 इंच की होती है, वहीं डंडा 12 से 18 इंच तक लबा हो सकता है। जमीन पर एक छोटा घेरा बनाया जाता है। गुल्ली को घेरे के ऊपर रखा जाता है। एक खिलाड़ी (स्ट्राइकर) डंडे से गुल्ली को हवा में उछालता है। इस दौरान यदि विपरीत दिशा में खड़ा खिलाड़ी गुल्ली को कैच कर लेता है, तो स्ट्राइकर आउट माना जाता है। यदि गुल्ली जमीन पर गिरती है, तो सामने वाला कोई खिलाड़ी (फील्डर) घेरे के ऊपर रखे डंडे को तीन बार हिट करता है। यदि वह कामयाब हो जाता है, तो स्ट्राइकर आउट माना जाता है। यदि वह कामयाब नहीं हो पाता, तो स्ट्राइकर तीन बार डंडे के सहारे गुल्ली को हवा में उछालता है और उसके प्वाइंट्स बनते हैं। सबसे अधिक प्वाइंट्स लेने वाला खिलाड़ी गेम जीत जाता है।
कबड्डी
मैदान के बीचो-बीच एक रेखा खींची जाती है। यह खेल दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिसमें सात-सात खिलाड़ी होते हैं। मैदान के बीचों-बीच टीम का एक खिलाड़ी (छापामार) एक सास में कबड्डी-कबड्डी बोलता हुआ दूसरी टीम के क्षेत्र में जाता है। विपक्षी टीम एक घेरा बनाकर उसे पकड़ने की कोशिश करती है। यदि वह पकड़ा जाता है और उसकी सास टूट जाती है, तो वह आउट माना जाता है।
खो-खो
यह दो टीमों के बीच खेला जाता है। प्रत्येक टीम में 12 खिलाड़ी शामिल होते हैं। एक निश्चित दायरे के अंदर अलग-अलग टीम के खिलाड़ी दौड़ लगाते हैं। उन्हें छूने के लिए दूसरी टीम का कोई एक खिलाड़ी उनके पीछे भागता है। यदि वह विपक्षी टीम के किसी एक खिलाड़ी को छू देता है, तो वह खिलाड़ी आउट माना जाता है।
पचीसी
यह खेल समुद्र या नदी में पाए जाने वाले छोटे सीप (कौड़ियों) की सहायता से खेला जाता है। दो अलग-अलग टीमें कुछ कौड़ियों को एक निश्चित दूरी तक फेंकती हैं, जिससे स्कोर बनता है। जिस टीम का स्कोर 25 हो जाता है, वह जीत जाता है।
विष-अमृत
कोई एक खिलाड़ी बाकी खिलाड़ियों को दौड़कर छूता है और उसे आउट (विष) करता है। बाकी खिलाड़ी चालाकी से आउट हुए खिलाड़ी को छूकर दोबारा खेल में शामिल (अमृत) कर लेते हैं।
Sunday, April 17, 2011
वैदिक यज्ञ में दी गयी बुराइयों की आहुति !

स्थानीय रामलीला प्रांगण के समीप आर्य समाज की यज्ञशाला में विगत शुक्रवार से प्रारंभ तीन दिवसीय वैदिक यज्ञ पूरे विधिविधान के साथ मंत्रोच्चारण के बीच आहुतियों के साथ पूरा हो गया। मानवता व इंसानियत के रक्षार्थ आर्यपुत्रों ने संकल्प भी लिया। इस दौरान भजनोपदेशकों ने अनेक प्रकार के भजन का गायन कर अध्यात्म की रक्षा हेतु हर किसी में जागरूकता का भाव भरने का संदेश दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में विद्वान प्रवचनकर्ता व आर्य समर्थक मौजूद रहे। वहीं कार्यक्रम के तहत देर शाम विद्वान प्रवचनकर्ता वैदिक प्रवक्ता आचार्य सुरेशचंद्र जोशी, भजनोपदेशक रूक्मिणी आर्या, पं. जितेन्द्र आर्य, चंद्रभान स्वाध्यायी, आर्यपुत्र रामाज्ञा व दीपनारायण शर्मा जी ने सदोपदेश दिये। कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति के मंत्री आनंद कुमार गुप्त व प्रधान अशोक कुमार आर्य, यज्ञकर्ता लालमणि शर्मा, कुमारी शुभांगी, गुलाब जी, सूर्यनाथ वर्मा, देवव्रत आर्य, बृजमोहन जी, चंदन, रामजी तिवारी, शिवदास गुप्त आदि का सराहनीय योगदान रहा।
अग्निपीड़ितों के बीच किया खाद्यान्न वितरित !

किशुनीपुर की श्रीमति द्विवेदी अपने सहयोगियों संग शिवपुर नई बस्ती के गरीब राय के डेरा पहुंची। इसके बाद पीड़ितों के बीच आटा, चावल, आलू, बर्तन, वस्त्र, बच्चों के लिए बिस्कुट आदि का वितरण किया। साथ ही महिलाओं की परेशानी व विवशता को भी सुना। इस दौरान उन्होंने हर स्तर पर मदद देने का उन्हें आश्वासन दिया। बांसडीह कोतवाली क्षेत्र के कैथवली गांव में भी उन्होंने पीड़ितों के बीच खाद्यान्न वितरित किया। कहा कि प्रदेश सरकार की किसी भी योजना का इन पीड़ितों तक नहीं पहुंच पाना काफी दुर्भाग्यपूर्ण है। इस मौके पर दीना नाथ दूबे, विनय दूबे, मनोज दूबे, अमित, मो. नसीफ अख्तर, संतोष भारती, अंजनी गुप्त, कृष्ण कुमार आदि साथ रहे।
Sunday, April 10, 2011
मंदिरवा में शुकवा सोमार नरियर चढ़ेला !!!!!

पंखों के पेंच खराब एसी आउट आफ आर्डर !

भारत के नव निर्माण में सतर्क दृष्टि से लग जायं !

क्रांतिभूमि बलिया से प्रस्फुटित प्रथम चिंगारी के प्रणेता मंगल पाण्डेय के साहस और बलिदान की पृष्ठभूमि से निकली आजादी की अक्षुण्णता तभी सलामत रहेगी जब स्वतंत्र भारत की संप्रभुता की रक्षा सुरक्षा के प्रति आम भारतीय सतर्क होकर भारत के नव निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये।
उक्त विचार शुक्रवार को अमर शहीद मंगल पाण्डेय के 154 वें शहादत दिवस के अवसर पर स्थानीय कदम चौराहा पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए बतौर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने व्यक्त किया। भारत को स्वतंत्र कराने में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले देश के अमर बलिदानियों की चर्चा करते हुए श्रीमती बहुगुणा ने कहा कि हमें आर्थिक आजादी प्राप्त करने के लिए एक नयी क्रांति की शुरूआत करनी है। कहा केंद्र द्वारा प्रदेश के विकास के लिए दिये गये धन का राज्य सरकार ने जिस तरह बंदरबांट किया वैसी परिस्थिति में ऐसी हुकूमत को सत्ता से हटाने के लिए जनता को आगे आना होगा। प्रदेश सरकार की मुखिया का नाम लिये बिना डा.जोशी ने कहा कि प्रदेश शासन के इशारे पर जातीय हिंसा की लपटों से पूरा मुल्क हैरान है। कहा कि बलिया जनपद का डेहरी गांव प्रदेश सरकार की जातिगत नीतियों में झुलसकर रह गया। प्रदेश में महिलाओं की अस्मिता खतरे में है। इसके पूर्व कदम चौराहे स्थित मंगल पाण्डेय की प्रतिमा के समक्ष च्योहिं डा.जोशी का काफिला रूका वहां पहले से इंतजार कर रहे कांग्रेसजनों ने उतरते ही उनका जोरदार स्वागत किया। इस अवसर पर डा.जोशी ने मंगल पाण्डेय की मूर्ति पर माल्यार्पण कर अमर शहीद मंगल पाण्डेय को नमन किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में शहीद मंगल पाण्डेय स्मारक समिति कदम चौराहा के अध्यक्ष शशिकांत चतुर्वेदी ने डा.जोशी के सम्मान में अभिनंदन पत्र पढ़कर सुनाया तथा मंगल पाण्डेय की आकृति स्मृति चिन्ह उन्हें भेंट किया। इसके बाद मुख्य अतिथि ने मंगल पाण्डेय के जीवनवृत्त पर आधारित प्रकाशित स्मारिका का विमोचन किया। सभा को विशिष्ट अतिथि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा.भोला पाण्डेय, राजेश मिश्र, दिग्विजय सिंह, राघवेंद्र सिंह, बच्चा पाठक, राजधारी सिंह, सुरेंद्र सिंह, बृजेश सिंह गाट, अनूप पाण्डेय, डा.विश्राम यादव, पीएन तिवारी, रवींद्र दूबे, अवध बिहारी चौबे, राजनाथ पाण्डेय आदि ने संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता डा.जनार्दन राय व संचालन राजकुमार पाण्डेय ने किया।
इसी क्रम में शहीद मंगल पाण्डेय के पैतृक ग्राम नगवां में देर शाम आयोजित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी समारोह में सेनानी संगठन की अध्यक्ष राधिका मिश्रा, शहीद मंगल पाण्डेय की पौत्रवधू तेतरी देवी एवं सेनानी उत्तराधिकारी नारायण मिश्र, अशोक पाण्डेय, धर्मदेव तिवारी एवं राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त शिवजी पाठक, क्षेत्र पंचायत सदस्य निर्मला देवी एवं जादूगर ओपी शर्मा को सम्मानित करने के बाद उप्र कांग्रेस की अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने कहा कि बलिया ने पूरे राष्ट्र का नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जो लूट, हत्या, आत्महत्या जैसे घृणित कार्य में लिप्त इस सरकार के कृत्य ने लोकतंत्र को शर्मसार किया है। जो सपना हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनाननियों ने देश की आजादी के लिए देखे थे उनके सपनों को विखंडित नहीं होने दिया जायेगा। शहीद मंगल पाण्डेय स्मारक सोसाइटी के मंत्री ओम प्रकाश तिवारी ने डा.जोशी को अंगवस्त्रम से सम्मानित किया। कार्यक्रम में बच्चा पाठक, डा. भोला पांडेय, दिग्विजय सिंह, राघवेंद्र प्रताप सिंह, मारकण्डेय सिंह, यतेंद्र बहादुर सिंह, अवध बिहारी चौबे, परिपूर्णानंद पाण्डेय, विजय मिश्र, परमात्मा चौबे, उषा सिंह, विजयानंद पाण्डेय, ओमप्रकाश पाण्डेय, राजेश पाठक, राकेश पाठक, रामेश्वर तिवारी आदि ने श्रद्धांजलि अर्पित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राजीव उपाध्याय व संचालन ओमप्रकाश तिवारी ने किया। इसी क्रम में डीपी ज्वेलर्स चौक बलिया स्थित प्रमोद सर्राफ के आवास पर श्रीमती जोशी वहां गयीं जहां व्यापारी वर्ग के लोग उनसे मिले तथा अपनी समस्याओं से अवगत कराया।
=> चित्र परिचय-कदम चौराहे पर आयोजित मंगल पाण्डेय शहादत दिवस कार्यक्रम में रीता बहुगुणा जोशी को मंगल पाण्डेय स्मृति चिन्ह प्रदान करते आयोजक।
=> चित्र परिचय-शहीद के पैतृक गांव नगवां में आयोजित कार्यक्रम में देररात स्वतंत्रता सेनानी संगठन के अध्यक्ष राधिका मिश्र को सम्मानित करते डा. जोशी।
Thursday, April 7, 2011
गदर के महानायक की जांबाजी को सलाम !

मंगल पाण्डेय का जन्म नगवा में 30 जनवरी 1831 को सुदिष्ट पाण्डेय एवं जानकी देवी के पुत्र के रूप में हुआ। मंगल पाण्डेय कोलकाता के पास 24 परगना जिले के बैरकपुर छावनी में 19 वीं रेजीमेण्ट की 34वीं कम्पनी की पैदल सेना के 1446 नम्बर के सिपाही थे। 29 मार्च 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की शुरुआत करने वाले इस सपूत द्वारा चार गोरे अफसरों को मार देने से अंग्रेजों के कान खड़े हो गये। बैरकपुर छावनी में अंग्रेजी सिपाहियों की संख्या बढ़ा दी गयी। मंगल पाण्डेय की गोली की गूंज लंदन तक जा पहुंची। सैनिक अदालत में उन पर मुकदमा चला। अन्तत: उन्हें आठ अप्रैल 1857 को बैरकपुर छावनी में तड़के फांसी दे दी गयी। नगवा के बुजुर्गो का कहना है कि मंगल पाण्डेय की बगावत के बाद अंग्रेजी सरकार ने गांव के लोगों को प्रताड़ित किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात नगवावासियों को काफी कुछ उम्मीदें थीं कि अपनी सरकार अमर शहीद मंगल पाण्डेय को राष्ट्रीय सम्मान से विभूषित करेगी। कम से कम भारत के लोकसभा परिसर में इनकी आदमकद मूर्ति की स्थापना अवश्य होगी। गांव भी शहीद ग्राम के रूप में उत्कर्ष को पहुंचेगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो सका है। बलिदान दिवस पर एक उम्मीद कि जिम्मेदारों की तंद्रा अब तो टूटे।
जीवन को अलौकिक बनाती सद्गुरु की वाणी !

सद्गुरु स्वामी गिरजा जी महाराज ने निकटवर्ती महराजपुर गांव में 9 दिवसीय सत्संग कार्यक्रम में तीसरे दिन बुधवार को उक्त उद्गार व्यक्त किये। हजारों श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए श्री स्वामी ने कहा कि मनुष्य के आपसी धार्मिक झगड़ों से परमात्मा का कोई सम्बन्ध नहीं होता। उन्होंने श्रद्धालुओं से निराकार धर्म अपनाने, शाकाहारी बनने पर जोर देते हुए कहा कि अगर परमात्मा की प्राप्ति करना है तो सत् गुरु की शरण में जाना होगा। इस अवसर पर पलटू वर्मा, सुग्रीव दास, श्रीनाथ दास, श्रीप्रसाद दास, महात्मा दास आदि की सराहनीय भूमिका रही।
Wednesday, April 6, 2011
भगवद कथा सुनने मात्र से ही कल्याण होता है मानव का !

Tuesday, April 5, 2011
प्रधान संघ के ब्लाक अध्यक्ष बने मो.मुख्तार !

स्वत: प्रस्फुटित हुई अग्नि और राख हो गया सब कुछ !

समय बीतने के साथ ही डुमरांव महाराज का पुत्र जवान हुआ और उसकी शादी हुई। जब उसकी दुल्हन आई तो बगल में पुरोहित का भव्य महल देखकर पूछा कि यह राजमहल से भी भव्य महल किसका है। राजकुमार ने कहा कि यह महल कुल पुरोहित का है। दुल्हन ने जिद ठान ली कि राजमहल के बगल में इससे भव्य महल नहीं रहना चाहिए, इसे गिरा दिया जाय। राजकुमार ने महाराज से पत्नी की जिद बताई। राजा इसके लिए राजी नहीं हुए। राजा व राजकुमार में इस बात को लेकर मतभेद हो गया और काफी दिनों तक बात नहीं हुई। अन्तत: राजा ने राजकुमार को राजगद्दी सौंप कर संन्यास ले लिया। राजा बनते ही राजकुमार ने अपने पुरोहित के भव्य महल को ढहाने का आदेश दे दिया। इसे सुन हरखू पांडेय ने अन्न जल त्याग अपने भवन में अपने को कैद कर लिया। यह सुन डुमरांव महाराज की पुत्री अपने ससुराल से अपने पिता के पुरोहित से मिलने आई और महारानी की जिद को बताया। हरखू पांडेय ने शाप दिया कि डुमरांव महाराज के यहां अब कोई पुत्र नहीं होगा और बेटी के पुत्र ही राज सिंहासन पर बैठेगे। इतना कहने के बाद स्वत: उनके शरीर से अग्नि पैदा हुई और हरखू पांडेय व उनका भवन जलकर राख हो गया।
लोग बताते है कि डुमराव में आज भी उस स्थान की मिट्टी काली राख जैसे रंग की है। बाद में डुमरांव महाराज की लड़की का लड़का जब डुमरांव की राजगद्दी पर बैठा तो अपने राज्य के कई स्थानों पर हरखू ब्रह्म का मंदिर बनवा दिया जिसमें एक दयाछपरा दियारा का यह स्थान है। कुछ लोग हरखू ब्रह्म को गाजीपुर के पचोत्तर क्षेत्र का बताते है और कहते है कि हरखू व सरखू दो भाई थे जो कहीं जाते समय उस स्थान पर रुके थे, जहां आज हरखू ब्रह्म का स्थान है। वहां पड़ोस के गांव के ही कुछ लोगों ने हरखू की हत्या कर दी थी। वहीं आज ब्रह्म बाबा का स्थान बना हुआ है। हरखू की हत्या के बाद सरखू कर्णछपरा जाकर बस गए। उन्हीं के वंशज कर्णछपरा, नवका टोला व इब्राहिमाबाद में बसे है और वहा के दीक्षित राजपूत अपने कुल देवता के रूप में हरखू ब्रह्म को मानते है और हर साल वहां के लोग हरखू ब्रह्म के स्थान पर भव्य पूजन व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कराते है। हरखू ब्रह्म का इतिहास चाहे जो भी हो किन्तु उनके दर्शन पूजन मात्र से लोगों की भलाई करने का इतिहास काफी लम्बा है। हरखू ब्रह्म परिसर में श्रद्धालुओं के अलावा प्रेत पीड़ितों की भीड़ नवरात्र में देखी जा सकती है। तत्कालीन विधायक भरत सिंह द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए वहां एक रैन बसेरा बना दिया गया है, जिससे लोगों को रुकने आदि सुविधा उपलब्ध हो गई है।
Monday, April 4, 2011
फटी बरसाती व कपड़े टांग जी रहे जिंदगी !
