जनपद की धरती का जर्रा-जर्रा आध्यात्मिक पहलुओं से समृद्ध है। मां ब्रह्माणी व शंकरपुर के मां भगवती मंदिर का इतिहास जहां राजा सुरथ से जुड़ा हुआ है, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे भी मंदिर हैं जहां मां के दरबार में लोग हाजिरी लगाते रहे, उनकी मुराद पूरी होती रही, मां के प्रति लोगों की आस्था बढ़ती गई और कालांतर में उस मंदिर को इतनी प्रसिद्धि मिल गई कि नवरात्र जैसे खास मौके पर दूर-दराज के लोगों के आने का सिलसिला भी प्रारंभ हो गया।
नगर के जापलिनगंज मुहल्ले का दुर्गा मंदिर भी इन्हीं में से एक है जहां दर्शन-पूजन को इन दिनों आस्था का सैलाब उमड़ रहा है। मंदिर के पुजारी 85 वर्षीय श्रीकांत चौबे बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण कार्य 1965 में उनके द्वारा जनता के सहयोग से प्रारंभ कराया गया था। उस समय इस क्षेत्र में कालरा फैला था। तब यह बिल्कुल सुनसान था। मंदिर के पास नीम का अति प्राचीन पेड़ था। उस समय लोग उनके पास आए और इसके निदान का उपाय पूछा। रात में मां भगवती ने बाबा को साक्षात दर्शन देकर नीम के पेड़ की पूजा करने और उसके पास मंदिर निर्माण के लिए कहा। लोगों ने पेड़ की पूजा की और कालरा का प्रकोप भी जाता रहा। धीरे-धीरे मंदिर का निर्माण कार्य भी जोर पकड़ता गया और आज यह मंदिर लोगों के बीच आस्था का केंद्र बिंदु बन गया है। पुजारी जी के बीमार पड़ जाने से मंदिर में पूजन-अर्चन का कार्य उनके शिष्य नीरज पाठक द्वारा किया जा रहा है।
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