'वह बात क्या करूं जिसकी खबर ही ना हो, वह दुआ क्या करूं जिसमें असर ही ना हो, कैसे कह दूं तुझे लग जाए मेरी उमर, क्या पता अगले पल मेरी उमर ही ना हो..'। वक्त से बड़ा व उससे बलवान न कोई हुआ है और न होगा। यहीं फूलों का दामन है और यहीं कांटों की सेज भी। जिसने इसकी महत्ता को भांप लिया वह मुकद्दर का सिकंदर बन बैठा, जिसने इसकी अहमियत न समझी वह लकीर का फकीर बन गया। खुशियों की चाहत में वर्ष 2010 में बागी धरती को कुछ कांटे मिले तो कुछ फूल भी। आपराधिक वारदातों से मानवता जहां सिसकती रही वहीं प्रकृति की मार भी ओझवलिया नाव हादसे के रूप में हमें झेलनी पड़ी। इन सबके बीच 'अनमोल नगीने' के रूप में कुछ ऐसी भी प्रतिभाएं उभर कर सामने आयीं जिन्होंने अपने कृत्यों से महर्षि भृगु की सरजमीं को राष्ट्रीय फलक पर न सिर्फ भरपूर सम्मान दिलाया अपितु अपने नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षरों में अंकित भी करा लिये।
सड़क हादसा: तिरुपति बाला जी के दर्शन को गये चिलकहर क्षेत्र के सपा विधायक सनातन पाण्डेय के परिवार के चार सदस्य तीन जनवरी को वहां हुई सड़क दुर्घटना में काल के गाल में समा गये थे।
अपराध: मनियर कस्बे में तीन जनवरी को किराना व्यवसायी सुदामा गुप्त को रंगदारी टैक्स के लिए बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर दिया था। 23 अप्रैल की दोपहर में दुबहर थाना क्षेत्र के धरनीपुर मोड़ पर बाइक सवार बदमाशों ने फिल्मी स्टाइल में भारतीय स्टेट बैंक की रामगढ़ शाखा के गार्ड नंदलाल सिंह व चपरासी गजाधर पाण्डेय को गोली मार कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था। इस दौरान उनके पास से बक्से में रखे दस लाख रुपये भी लूट लिये गये थे।
प्रकृति की मार: 14 जून की सुबह जनपदवासियों के लिए कहीं से सुखद नहीं रही। बागी भूमि रो पड़ी थी उस दिन। गंगा तट के ओझवलिया घाट पर मुण्डन संस्कार के दौरान हुए नाव हादसे में 63 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ गयी थी। तब शवों से पट गया था पोस्टमार्टम हाउस। एक तरफ गंगा की लहरों से शव बाहर निकाले जा रहे थे तो दूसरी ओर एक के बाद एक चिताएं जलती जा रही थीं। नाव पर सवार 80 लोगों में से 17 को उस दिन जीवन दान मिला था।
घोटाला: जनपद में भ्रष्टाचार का पूरे साल बोलबाला रहा। खाद्यान्न घोटाला जहां सुर्खियों में रहा वहीं शिक्षा विभाग, समाज कल्याण समेत अन्य कई विभागों में गबन के मामले चर्चा में रहे। बैंकों से फर्जी हस्ताक्षर बनाकर लाखों की हेराफेरी का भी मामला भी प्रकाश में आया।
रेड रिबन एक्सप्रेस: अधिक भीड़ जुटा बलिया ने पूरे भारत में न सिर्फ पहला स्थान हासिल किया बल्कि पुरस्कार भी जीता। इस कामयाबी के पीछे प्रशासन के अलावा उन चेहरों को कतई नहीं भुलाया जा सकता जिन्होंने अपना भरपूर सहयोग देकर इस कार्यक्रम को अर्श की ऊंचाइयां दी। इस क्रम में पहला नाम आता है राष्ट्रीय चिकित्सा रत्न से नवाजे गये शारदा हास्पिटल के चिकित्सक डा.जेपी शुक्ल का।
खेलकूद: दो दिसम्बर को अमृतसर में खो-खो की सब जूनियर नेशनल चैम्पियनशिप में निधि को बेस्ट चेजर का अवार्ड मिला।
Friday, December 31, 2010
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