रामचरित मानस की एक-एक चौपाई मानव जीवन के लिए उपयोगी है और इन्हे मानव को आत्मसात करना चाहिए।
उक्त बातें उपेन्द्र नाथ द्विवेदी मानस किंकर जी ने कही। वह क्षेत्र के ब्रह्मलीन संत शिरोमणि सुदिष्ट बाबा की स्मृति में लगने वाले धनुष यज्ञ मेले में शनिवार को रामकथा के उद्घाटन अवसर पर श्रद्धालुओं को भक्ति का रसपान करा रहे थे। कथा का उद्घाटन ब्रह्मचारी सत्यानन्द जी ने फीता काटकर किया। उन्होंने रामकथा से पूर्व मंगलाचरण किया व राम कथा के महत्व के बारे में विस्तार से बताया। किंकर जी ने स्पष्ट किया कि बगैर संत के ब्रह्म व जीव का मिलन नहीं होता। संत ब्रह्म व जीव मिलन के लिए सेतु का कार्य करते है। गुरू के आदेशानुसार शबरी ने सुग्रीव का पता बता दिया। वहां पर संतरूपी हनुमान ने जीवरूपी सुग्रीव को ब्रह्मरूपी राम से मिलकर मित्रता का सम्बन्ध स्थापित किया और सीता माता की खोज शुरू हुई तथा रावण का वध हुआ। इस मौके पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी।
Saturday, December 11, 2010
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