Friday, December 31, 2010
प्रयोग के ऐन वक्त यूरिया का ब्लैक!
यूरिया के अभाव को लेकर किसान फ्रंट की त्वरित बैठक कार्यालय पर की गयी। खाद संकट को कृत्रिम बताते हुए वक्ताओं ने कहा कि प्रशासन एवं प्राइवेट खाद विक्रेताओं की मिली भगत से ऐसा हो रहा है। ऐन खाद डालने के वक्त सहकारी दुकानों और बाजारों से यूरिया को गायब करने के पीछे महंगी व ब्लैक में मिलावटी यूरिया को बेचकर अधिकाधिक लाभ कमाने का लक्ष्य है। वक्ताओं ने कहा कि इससे जहां किसानों की खेती बरबाद होगी आम गरीब अन्न व भोजन से संकटग्रस्त होगा। वक्ताओं ने कहा कि ऐसा केवल स्थानीय मुनाफाखोरी व भ्रष्टाचार के कारण ही नहीं है बल्कि केन्द्र व प्रदेश सरकार की नीतिगत योजना के तहत कृषि को संकटग्रस्त किया जा रहा है ताकि किसान अपनी खेती मजबूरन देशी, विदेशी बड़ी कम्पनियों के हवाले कर दें। महाराष्ट्र, आन्ध्रप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा व पश्चिमी उप्र में ठेका खेती वाली नई कृषि नीति के तहत पूंजीवादी साम्राज्यवादी कंम्पनियों की बढ़ती कब्जेदारी को दिखाते हुए वक्ताओं ने कहा कि पूर्वी उप्र में भी वैसा ही करने के लिये खाद, बीज, बिजली, सिंचाई, डीजल की महंगाई, कभी किल्लत पैदा की जा रही है। यदि यूरिया तत्काल बाजार में सही रेट पर उपलब्ध नहीं करायी गयी तो आन्दोलन तेज किया जायेगा। हल्दी, रानीगंज, नगरा, फेफना आदि दर्जनों प्रमुख फ्रंट केन्द्रों पर बैठक कर संघर्ष भी रणनीति बनायी जाएगी। बैठक् में प्रनेश कुमार ंिसह, कलामुद्दीन, बलिराम सिंह, राम एकबाल, सुरेश जी, डा.रामानंद, शिवाजी, विनोद सिंह, जावेद, रामजनम, पिन्टू सिंह, अंजनी ठाकुर, विक्रमा आदि मौजूद थे। अध्यक्षता जनार्दन सिंह ने किया।
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