Sunday, December 26, 2010

ध्यान से दूर होती है मन की विकृति !

जिस प्रकार गंदे जल की सफाई के बाद कुंए से स्वच्छ जल निकलने लगता है उसी प्रकार अन्त:करण स्वच्छ होते ही व्यक्ति परमानंद रूपी जल से भर जाता है। उक्त बातें आर्ट आफ लिविंग द्वारा आयोजित पांच दिवसीय योग शिविर के मेडिटेशन कोर्स की समाप्ति पर बंगलूर आश्रम से लौटे स्वामी आत्मानंद ने कही। शिविर में मौजूद आयकर निरीक्षक एके सिंह ने अनुभव सुनाते हुए बताया कि यहां जो शांति एवं आनंद की अनुभूति हुई है और कहीं नहीं मिली। चार्टड अकाउन्टेण्ट शेखर ने बताया कि सुख-चैन आदि बातें किताबों में पढ़ी थी जो यहां आने पर महसूस हुईं। अन्य प्रतिभागियों ने बताया कि आसन से शरीर शुद्ध होता है। प्राणायाम से सांस शुद्धि तथा प्राण शक्ति बढ़ती है। ध्यान से मन की विकृतियां दूर होती हैं। शिविर में सुशील भैया, डा.आशुतोष, रीतेश, चेतन, राजेश, रतन, परमेश्वरानंद, चंदना दीदी, रतन दीदी आदि का प्रमुख योगदान रहा। प्रसाद वितरण के बाद समापन हुआ।

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