Sunday, November 8, 2009

हर परिस्थिति से मिलती है जीने की कला: बाल व्यास !

बलिया। जीवन में सुख-दुख समेत हर पल मानव को जीने की कला सिखाता है। विषम परिस्थितियों में भी प्रभु को भजने वाला ही विरक्ति व मोक्ष को प्राप्त करता है क्योंकि भगवान तो स्वयं मानव के धैर्य, श्रद्धा व भक्ति की पल-पल परीक्षा लेते रहते हैं।

उक्त बातें स्थानीय रामलीला मंच पर जारी संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का व्याख्यान करते हुये वृंदावन के विख्यात बाल व्यास प्रवीण कृष्ण जी महाराज ने कही।

अपने संगीतमय व्याख्यान व कथा के छठवें दिन रविवार की देर शाम बाल व्यास ने भगवान श्री कृष्ण के जन्म की धूम के बाद गोपियों संग भगवान कृष्ण की रासलीला का संगीतमय चित्रण किया। इसके श्रवण मात्र से ही सैकड़ों की संख्या में मौजूद महिलाएं व श्रोता-श्रद्धालु, गोपियों व कृष्ण भक्त की भांति भक्ति सागर में झूमने लगे।

वहीं वृंदावन छोड़ मथुरा जा रहे कृष्ण कथा के जीवंत चर्चा मात्र से ही वियोग में वृंदावन के गोपियों की अविरल अश्रुधारा बहने लगी। मथुरा पहुंच भगवान कृष्ण ने कंस व जरासंध वध के साथ ही समुद्र के अंदर सोने की द्वारिका बनायी एवं कुंदनपुर के महाराज की पुत्री रूक्मिणी के साथ विवाह रचाया।

उक्त अवसर पर संस्कृत मूल पाठ कर्ता पं. धनू उपाध्याय, अनूप जी, प्रदीप जी, प्रभात जी के अलावा आयोजन समिति सदस्य अनिल कुमार गुप्ता, अमरनाथ गुप्ता, त्रिलोकी नाथ, अंजनी, रमाकांत, मोहन मद्धेशिया, राकेश चौरसिया व मोहन वर्मा, विनय प्रकाश डेविड, बजरंग लाल अग्रवाल, लाला केदारनाथ व डा. परशुराम आदि शामिल थे।

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