Tuesday, November 17, 2009

प्रभु स्मरण से चित्त रहता प्रसन्न !

प्रभु का सदैव स्मरण करने मात्र से चित्त तो आनन्दित होता ही है, प्रभु से साक्षात्कार होने का भी अवसर प्राप्त होता है।

उक्त विचार कथा वाचक पं. शीतल प्रकाश जी के हैं। वह संत यती नाथ मंदिर परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के आठवें दिन भक्तों को सम्बोधित कर रहे थे। कहा कि भजन से काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद पर विजय मिलेगी। इससे मानव का कल्याण निश्चित है। कहा कि महापुरुषों की गाथाओं को सुनना व पढ़ना भी मानव के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है।

इस अवसर पर भोला सिंह, छठ्ठूं प्रसाद, राम नारायण सिंह, नन्द जी सिंह, पिण्टू पाण्डेय, गुड्डंन सिंह, तारकेश्वर ठाकुर, अशोक पटेल आदि मौजूद रहे।

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