Tuesday, October 27, 2009

संकुचित दृष्टिकोण व हैण्डपम्प कल्चर ने खत्म किया पोखरों, तालाबों की !

सिकंदरपुर (बलिया), निप्र ।कभी सामाजिक सद्भाव के प्रतीक एवं जल संचय के प्रमुख साधन रहे तालाबों का अस्तित्व समाप्त होता जाना चिंता का कारण बनता जा रहा है। अतीत में तालाबों के स्वच्छ जल में लोग नहाते और कपड़ा तो धोते ही थे, उसका पानी मवेशियों के पीने तथा फसलों की सिंचाई के काम में भी लाया जाता था। प्राय: रोजाना सुबह-शाम तालाबों पर इकट्ठा होने वाली स्नानार्थियों की भारी भीड़ आपस में देश काल सहित समसामयिक सामाजिक बातें कर सूचनाओं का आदान-प्रदान करती थी। बाद में हैण्डपाइप व टयूबवेल के प्रादुर्भाव ने इन तालाबों के अस्तित्व पर धीरे-धीरे जो ग्रहण लगाना शुरू किया वह आज भी जारी है। अधिकांश तालाब समाप्त हो गये तथा जो बचे भी हैं वह अपने अस्तित्व के संकट की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन्हीं में से एक नगर के दक्षिणी-पूर्वी भाग में स्थित ऐतिहासिक किला का पोखरा है जो वर्तमान में गन्दगी का पर्याय बन अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्षरत है। कारण कि इस ऐतिहासिक धरोहर पर कुछ लोगों की वक्र दृष्टि लग गयी है। ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार जब सिकंदरपुर क्षेत्र दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोरी के आधिपत्य में आ गया तो यहां शासन चलाने के लिए उन्होंने एक किला का निर्माण कराया। किला के निर्माण के समय ही स्नानादि आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु जल संचय के निमित्त उसके पूर्वी-दक्षिणी भाग में एक तालाब भी खोदवाया गया। पोखरा के निर्माण केसमय ही उसके पश्चिमी छोर पर एक खूबसूरत सीढ़ी भी निर्मित कराया गया। जिस पर बैठकर किला के कारिन्दे स्नानादि करते थे। बादशाही शासन की समाप्ति और किला के ध्वस्त हो जाने के बाद इस पोखरा में आम नागरिक स्नान करने लगे। तब यह पोखरा नागरिकों के लिए एक तफरीहगाह के रूप में बन गया। रोजाना प्रात: और शाम को पोखरा पर स्नान करने वालों की भीड़ से यह स्थल काफी गुलजार रहता था। तब नगर में यही एकमात्र पोखरा था। जिसकी सीढि़यां पक्की तथा पानी स्वच्छ रहता था। समय के प्रवाह के साथ लोगों ने पोखरा में स्नान करना छोड़ दिया। मरम्मत तथा देख-रेख के अभाव में इसकी सीढि़यां क्षतिग्रस्त तथा पानी गंदा होने लगा। आज यह ऐतिहासिक पोखरा खुदाई के अभाव में छिछला तथा सफाई नहीं होने से गन्दगी का पर्याय बन गया है। इसके पूर्वी व दक्षिणी टीलों पर आबादी बस गयी है। उनके मकानों से निकला गन्दा पानी पोखरा में तो गिरता ही है नगर पंचायत द्वारा निर्मित नाली के पानी को भी पोखरा में ही गिराया जा रहा है। यही नहीं पानी कम हो जाने पर यह सूअरों का ऐशगाह तक बन जाता है। आज पोखरा के सड़े पानी व कीचड़ से निकलने वाला दुर्गन्ध पास-पड़ोस के वातावरण को गन्दा कर रहा है।

वर्तमान में भूगर्भ का गिरता जलस्तर विकराल समस्या बनकर मुंह बाये खड़ा है। ऐसी स्थिति में जल संचय अतिआवश्यक हो गया है। इस दशा में स्वच्छता, सुन्दरता और आवश्यकता के मद्देनजर इस ऐतिहासिक पोखरे का पुनरोद्धार और सौन्दर्यीकरण आज की तात्कालिक आवश्यकता बन गयी है। प्रश्रन् यह है कि इसके लिए पहल कौन करे।

No comments:

Post a Comment