Friday, October 23, 2009

घाघरा का रुख दक्षिण तरफ, तटवर्ती क्षेत्र खतरे में !

बलिया। घाघरा नदी द्वारा पिछले कुछ वर्षो से अपने बहाव का रुख उत्तर की बजाय दक्षिण की तरफ से कर लिये जाने से तटवर्ती क्षेत्र के अनेक स्थानों का अस्तित्व लगातार खतरे में पड़ता जा रहा है। क्षेत्र के डूहां-बिहरा, कठौड़ा, सीसोटार, गोसाईपुर एवं खरीद के दियारों सहित टीएस बंधा के उत्तर तरफ प्राय: हर वर्ष होने वाले कटान से अब तक सैकड़ों एकड़ क्षेत्रफल की जमीन कटकर नदी में समाहित हो चुकी है। साथ ही यह सिलसिला सुरक्षात्मक व्यवस्था के अभाव में आगे भी जारी रहने की सम्भावना से इन गांवों के किसान चिंतित व शासन-प्रशासन के उपेक्षात्मक व्यवहार से आक्रोशित है। उधर घाघरा के गांव से सटकर बहने और कटान के कारण कुतुबगंज घाट का अस्तित्व लगातार खतरे में पड़ता जा रहा है। जबकि बाढ़ के समय नदी का पानी पेटा से बाहर होते ही कठौड़ा मल्लाह बस्ती चारों तरफ से जलमगन् हो जाता है। फलत: वहां के निवासियों को रहन-सहन एवं आवागमन की जबर्दस्त समस्या से दो-चार होना पड़ता है। जंगली बाबा एवं डूहां मठ के उत्तरी व पश्चिमी दीवारों पर नदी जल का दबाव आज भी बना हुआ है। डूहां मठ की पश्चिमी जर्जर दीवार तो कभी भी ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गयी है। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि कठौड़ा सत्येंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि कठौड़ा के पश्चिम व पूरब तरफ जंगली बाबा की कुटी के पश्चिम व मौनी बाबा के आश्रम के पूरब तरफ करीब तीन किमी की दूरी में नदी रिंग बंधा के करीब पहुंचती जा रही है। इन स्थानों पर जिस प्रकार कटान हो रहा है यदि उसे रोकने हेतु शीघ्र पहल नहीं किया गया तो आगे चलकर रिंग बंधा को भी खतरा पैदा हो सकता है। उन्होंने कटान को रोकने हेतु कठौड़ा एवं डूहां गांवों के मध्य आवश्यक स्थानों पर मजबूत एवं ऊंचे ठोकरों का निर्माण कराने की मांग की है।

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