Monday, October 5, 2009

जंग-ए-आजादी के योद्धा गुजार रहे जलालत की जिन्दगी !

बलिया। जंग-ए-आजादी में अपना सब कुछ कुर्बान कर देने वाला एक शख्स हाथ में ताम्र पत्र लिए पेंशन की आस लगाये आखिर इस जहां से कूच कर ही गया। यह ताम्र पत्र उन्हे तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने वर्ष 1971 में प्रदान किया था। 1972 से 78 तक केंद्र व राज्य सरकारों ने उन्हे पेंशन भी दिये लेकिन उसके बाद बिना कारण बताये दोनों ही पेंशन अचानक बंद कर दिया गया। सरकारी योजनाओं से दूर गरीबी में जीवन यापन करने वाले परिजन प्रशासनिक अधिकारियों के दरबार में दस्तक देते-देते थक गये लेकिन इसका लाभ उन्हे नहीं मिल पाया। जनप्रतिनिधियों ने भी इस महान सपूत की सुधि नहीं ली। हद तो तब हो गयी जब इस सेनानी के निधन की जानकारी होने के बाद भी जिले का कोई भी अधिकारी उनके कदमों में श्रद्धा के दो फूल चढ़ाना भी मुनासिब नहीं समझा

दर्द भरी यह दास्तान तहसील बांसडीह अंतर्गत बलुआ गांव के बली राजभर तक ही सीमित नहीं बल्कि इस समस्या से जनपद के अन्य सेनानी भी जूझ रहे है और प्रशासनिक अमला उनकी मांगों को लगातार अनसुनी करते जा रहा है। विडम्बना यह कि यह दु:खद पहलू उन लोगों से जुड़े है जिन्हे सिर आंखों पर बिठाया जाना चाहिये

एक तरफ प्रशासन द्वारा जरा याद करो कुर्बानी के पुलिस लाइन में विविध कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर जनपद में कुछ ऐसे भी सेनानी या उनकी विधवाएं है जो मौजूदा समय में फांकाकशी का शिकार है लेकिन उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं। उदाहरण के तौर पर गत वर्ष प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की 150 वीं वर्षगांठ मनाये जाने के क्रम में संस्कृति मंत्रालय उत्तर प्रदेश द्वारा सेनानियों व उनके जिन्दा न होने की स्थिति में उनकी पत्‍ि‌नयों को सम्मानित करने का निर्णय लिया गया था। इस क्रम में उन्हे साढ़े सात हजार की धनराशि देने के साथ ही कुल नौ बिन्दुओं पर कार्य किये जाने थे लेकिन विडम्बना यह कि जनपद के कई सेनानी अथवा उनकी पत्‍ि‌नयों को इस धनराशि से वंचित रखा गया। सेनानी स्व.महानंद मिश्रा की पत्‍‌नी राधिका मिश्रा इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। खास बात ये कि जिन सेनानियों की पेंशन कतिपय कारणों से बंद कर दी गयी थी उनमें से कुछ लोगों को यह धनराशि जरूर प्रदान कर दी गयी।

सेनानी व उत्तराधिकारी संगठन की अध्यक्ष राधिका मिश्रा के ही शब्दों में केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा जनपद के कितने सेनानियों की पेंशन निरस्त और निलम्बित की गयी है, इस बारे में जब कांग्रेस जन सूचना का अधिकार टास्क फोर्स के मण्डल प्रभारी मधुसूदन श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री कार्यालय से जानकारी मांगी तो वहां के जन सूचना अधिकारी द्वारा यह बताया गया कि बलिया के जिला प्रशासन से इस तरह की कोई भी आख्या उन्हे प्राप्त नहीं हुई है। विडम्बना यह कि जिले में कितने सेनानी फिलवक्त जिन्दा है इस बारे में जिला प्रशासन के पास कोई सूचना नहीं है।

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