Friday, November 29, 2013

शबाब पर पहुंचा ऐतिहासिक ददरी मेला

जैसे-जैसे दिन बीतता जा रहा है वैसे-वैसे ऐतिहासिक ददरी मेले की रौनक बढ़ती जा रही है। सामान की खरीदारी के साथ ही लोग मेले का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। ठंड के बावजूद लोग अपने परिवार के सदस्यों के साथ मेले में आ रहे हैं।
मेले में बाहर से आए दुकानदार संडे को देखते हुए सामान की खेप मंगा लिए हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि इस बार संडे को अत्यधिक भीड़ होगी। मेले सबसे अधिक ऊनी कपड़ों व दहेज में देने वाले सामान की बिक्री हो रही है। मेले में झूले व मौत के कुआं वाले आइटम को ग्रामीण क्षेत्र से आए लोग ज्यादा पसंद कर रहे हैं। मेले में लोगों की सबसे अधिक भीड़ गर्म कपड़ों की दुकानों पर रही।
इसके अलावा वे जलेबी, चाट, समोसा, खजला का भी आनंद लेते रहे। हर माल पांच रुपये से लेकर सौ रुपये वाली दुकानों पर महिलाओं की भरी भीड़ रही। मेले में भीड़ को देखते हुए दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं। मीना बाजार एसओ अभय सिंह मेले में आने-जाने वालों पर पैनी नजर रखे हुए थे। वहीं नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष लक्ष्मण गुप्ता मेले की साफ-सफाई के लिए अपने कर्मचारियों को लेकर चक्रमण करते रहे।
खूब भा रही सहारनपुर की काष्ठ कला
ददरी मेले में तो दूरदराज से कई दुकानें एक से बढ़कर एक आइटम लेकर आई हुई हैं लेकिन सहारनपुर की काष्ठ कला का कोई जवाब नहीं है। इसमें किचेन से लेकर घर सजाने के सामान हैं। लकड़ी के हस्त निर्मित आइटम लोगों को खूब भा रहे हैं। हाथी, ऊंट, घोड़ा, फोटो फ्रेम, चौकी, बेलना, मछली, पल्टा, फल रखने की टोकरी आदि अनेक आइटम हैं जिनकी डिमांड काफी है। सहारनपुर से आए मो. खालिद ने बताया कि इन आइटमों का निर्माण हाथ से होता है। इसमें पचास रुपये से लेकर चार हजार रुपये तक के आइटम हैं।
मेले में एक दूसरे का होता है मिलन
ददरी मेला में सिर्फ खरीदारी ही नहीं होती बल्कि रिश्तों की परंपरा को भी कायम रखने में सहयोग मिलता है। मेले में कई परिवारों का मिलन भी होता है। वहीं दूल्हा व दुल्हन एक दूसरे को देख भी लेते हैं

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