ऐतिहासिक ददरी मेले का मीना बाजार संडे से अब शबाब की ओर बढ़ चला है। दुकानदार भी अपनी दुकानों को समृद्ध करने को जीजान से जुट गए हैं। संडे को छुट्टी के दिन हुई बिक्री से वे काफी संतुष्ट दिखे। इसके चलते वे अपने आइटमों की अतिरिक्त खेप मंगाने में जुट गए हैं।
अभी तक मेला फीका चल रहा था। धीरे-धीरे लोगों के आने का क्रम तेज होने से व्यापारियों का उत्साह बढ़ने लगा है। वहीं मेले को वृहद रूप देने में नपा कर्मचारी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सोमवार को सुबह से ही ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के आने का क्रम शुरू हो गया। शाम तक लोगों ने जमकर मेले में परिवार के सदस्यों के साथ झूला, सर्कस, नौटंकी, मौत का कुआं समेत अनेक आइटमों का अनंद उठाया। इसके बाद आवश्यक सामानों की खरीदारी भी की।
मेले में इस समय शाम को ही ज्यादा भीड़ हो रही है। शहरी क्षेत्र के लोग अपना काम काज निबटा कर शाम होते ही परिवार के साथ मेले की तरफ चले जा रहे हैं व देर रात को वापस लौट रहे हैं। बढ़ते ठंड को देख लोग ऊनी कपड़ों का मोल भाव करते नजर आए। सुरक्षा व्यवस्था के लिए मीना बाजार थाना प्रभारी अभय सिंह दल-बल के साथ चक्रमण करते रहे।
खादी कंबल की बिक्री तेज
ठंड को देखते हुए मेले में खादी कंबल की बिक्री बढ़ गई है। ग्रामीण क्षेत्र के लोग ठंड में आज भी इसी कंबल का उपयोग करते हैं। लोगबाग इंतजार में रहते हैं कि इसकी खरीदारी वे ददरी मेले में ही करेंगे। 200 से 500 रुपये तक का यह कंबल उन्हें आसानी से मिल जा रहा है। लोग बताते हैं कि इस कंबल से ठंड में काफी राहत मिलती है।
आकर्षण का केंद्र बने प्लास्टिक फूल
ददरी मेले में आकर्षण का खस केंद्र बने हुए हैँ प्लास्टिक के फूल। राज फ्लावर के नाम से मेले में लगी इन फूलों की दुकान को नपा ने मेले की रौनक बढ़ाने के लिए इनाम भी दिया था। कानपुर की इस दुकान के फूल बड़े-बड़े शहरों के होटलों व घरों की शोभा बढ़ाते हैं। कपड़ों व प्लास्टिक से बने इन फूलों समेत अन्य सामानों से घरों की सजावट की जाती है। इस दुकान में 50 से 4000 रुपये तक के फूल व सजावट के सामान हैं। इसमें गुलाब, सूर्यमुखी, कमल, गुड़हल समेत अन्य प्रकार के आकर्षक फूल शामिल हैं। डलिया, कार्नर स्टैंड, ग्लोब, झालर समेत अन्य आइटम आने-जाने वालों को अपनी ओर खींच ले रहे हैं। व्यापारी राजेंद्र रस्तोगी ने बताया कि बड़े शहरों में इस तरह के फूलों व आइटमों की डिमांड ज्यादा है। कहा ददरी मेले से लगाव होने के कारण हर साल यहां चला आता हूं।
No comments:
Post a Comment