Saturday, May 8, 2010

सबसे बड़ा शत्रु है अहंकार दूर करे इसे : कृष्णा देवी !

बलिया । स्थानीय रामलीला मैदान में चार दिवसीय गीता भागवत सत्संग में संत आसाराम बापू की कृपापात्र शिष्या कृष्णा देवी ने भगवान नाम जप का बखान की तथा आरोग्य जीवन जीने का गुर सिखलाया। तीन घंटे तक चले सत्संग में बीच-बीच में हो रहे भजन कीर्तन पर श्रद्धालु श्रोता झूमते रहे। बारिश के कारण शुक्रवार को सुबह का सत्संग नहीं हो सका। साध्वी कृष्णा देवी ने कहा कि जिस किसी ने सच्चे मन से एक बार प्रभु का नाम स्मरण कर लिया तो उसे इस मृत्युलोक से मुक्ति मिल जायेगी। इसलिए सब कुछ छोड़कर सच्चे मन से प्रभु का स्मरण अवश्य करना चाहिए। गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो कोई सब कुछ छोड़कर मेरे शरण में आ जाता है उसे मै सभी पापों से मुक्त करते हुए मोक्ष प्रदान करता हूं। जो कोई मेरी शरण में आ जाता है वह इस भवसागर से तर जाता है। अहंकार को सबसे बड़ा दुश्मन बताते हुए कृष्णा देवी ने कहा कि महाभारत का मूल कारण दुर्योधन का अहंकार ही था। श्रोताओं से कहा कि मन से अहंकार को मिटाने के लिए अपने से सुन्दर, धनवान, बलवान, गुणवान को देखो, स्वत: अहंकार समाप्त हो जायेगा। अहंकार मिटाने का सबसे सुगम तरीका साधु-संतो की शरण में जाना है। सद्गुरु की महिमा को रखते हुए साध्वी ने कहा कि जो सद्गुरू को नहीं समझा वह जगतगुरू को समझ नहीं सकता। नशे से दूर रहने की सीख देते हुए उसे दूर करने के उपाय भी बताई। युवा जागृति एवं नशा उन्मूलन अभियान में सहयोग करने का अनुरोध किया। साइटिका, सुगर जैसे कई रोगों का निदान उन्होंने प्राणायाम के द्वारा दूर करने के तरीके सुझाये।

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