पंचतत्व से निर्मित मानव शरीर नश्वर है और इसका नष्ट होना अनिवार्य है। इस चैतन्यता का बोध करते हुए जो भी प्राणी श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करता है उसके जीवन के सारे पापों का नाश हो जाता है तथा उसका जीवन सार्थक हो जाता है।
उक्त उद्गार प्रख्यात कथा वाचक पंडित दिलीप शास्त्री जी महराज के हैं जो उन्होंने पाण्डेपुर ताखा ग्राम में आयोजित श्रीमद्भागवत संगीतमय कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को उपस्थित हजारों श्रद्धालजनों को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। उन्होंने भक्ति एवं साधना के विभिन्न उदाहरणों को स्पर्श कराते हुए भगवान के बावन अवतार की कथा सुनाकर लोगों को काम, क्रोध, ईष्र्या, अहंकार, लोभ, मोह जैसी बुराइयों से दूर रह कर प्रभु नाम सुमिरन को प्रेरित किया। बताया कि व्यास जी ने लिखा है कि कलियुग में प्रभु अवतार कलंकी नाम से भारत के सम्भल जनपद में होगा और तभी बुराइयों का नाश कर स्वयं नारायण मानवता की रक्षा करेगे। उन्होंने श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं और दुर्लभ मानव प्राणी को ही इस कथा का श्रवण लाभ प्राप्त होता है। इस अवसर पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ का ब्लाक प्रमुख रामेश्वर पाण्डेय द्वारा अभिवादन किया गया।
Monday, August 30, 2010
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