ज्योतिष मात्र भविष्य वांचने का शास्त्र नहीं, यह व्यक्ति को कर्मनिष्ठ बनने की प्रेरणा देता है।
यह बातें भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम् वाराणसी के संस्थापक डॉ.पुरुषोत्तम दास गुप्ता ने कही। वह रविवार को यहां साहू भवन में आयोजित भारतीय ज्योतिष शास्त्र संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। यह आयोजन भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम् वाराणसी के संयोजकत्व में किया गया। श्री गुप्ता ने आगे कहा कि ज्योतिष शास्त्र का मूल ही कर्म दर्शन पर आधारित है। यह काल गणना का शास्त्र है। उन्होंने कहा कि यदि आध्यात्मिक व परमार्थिक दृष्टि से ज्योतिष रहस्य का विश्लेषण करें तो उस दृष्टि से भी ज्योतिष परब्रह्मा का प्राप्त करने के लिए सद्गुरु की सेवा के प्रति कर्मबोध को निर्देशित करता है। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक दृष्टि से विचार करें तो ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पुरुष व चंद्रमा को स्त्री ग्रह माना गया है। अर्थात पुरुष तथा प्रकृति रूप में इन दोनों ग्रहों को माना गया है तथा भौम, बुध, गुरु, शुक्र व शनि इन पांच ग्रहों को पंचतत्व का रूप बताया गया है। उन्होंने कहा कि व्यावहारिक जगत में भी ज्योतिष में कर्म की ही महत्ता प्रमाणित होती है। इस मौके पर आचार्य भरत पांडेय, विनोद कुमार उपाध्याय, सुश्री विजयलक्ष्मी गुप्ता, डा.जनार्दन चतुर्वेदी, पं.अवधेश उपाध्याय, रजनीकांत, दयाशंकर, रतन सोनी, प्रितेश अग्रवाल आदि मौजूद थे।
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