Sunday, October 17, 2010

डीएम साहब ! कुछ तो सोचें इन सड़कों के बारे में

..जुलाई, अगस्त, सितम्बर का महीना राह देखते बीत गया। अक्टूबर में भी एक पखवारा गुजर गया लेकिन शहर के उत्तर की खस्ताहाल सड़कों का कायाकल्प नहीं हुआ। राहगीर रोजाना हो रहे है लहूलुहान। वाहन, रिक्शे भी अक्सर पलट रहे है फिर भी कोई सुनवाई नहीं। ऐसे में डीएम साहब! कुछ तो सोचें इन सड़कों के बारे में क्योंकि ये नारकीय परिस्थितियां अब झेली नहीं जा रही है। यह आवाज है उन लोगों की जो महीनों से यह दुर्दशा झोलने को अभिशप्त है। उनका कहना है कि प्रशासन की कैसी हिदायत है कि निर्देशों के बाद भी इन सड़कों की तस्वीर बदलने के प्रति उदासीनता ही बरती जा रही है। यहां बात हो रही है एनसीसी तिराहे से दक्षिण बलिया-बांसडीह मुख्य मार्ग की जिस पर चलना इन दिनों खतरे से खाली नहीं है। बड़े-बड़े गढ्डें, थोड़ी सी भी बरसात में पूरी सड़क का कीचड़ से सराबोर हो जाना, लोग यह समझ नहीं पा रहे कि यह परेशानी उन्हे और कितने दिन झेलनी पड़ेगी। यही स्थिति बलिया-सिकंदरपुर मार्ग की भी है। रामपुर व बहादुरपुर में तो इस सड़क का नक्शा ही बदल गया है। सड़कों पर घरों का गिरता गंदा पानी राहगीरों के लिए किसी अभिशाप से कम नहीं साबित हो रहा।

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