बेलहरी ब्लाक के एक चर्चित गांव के मूल निवासी है चाचा सुभग नारायण सिंह (काल्पनिक नाम)। सुभग नारायण यूनिवर्सल चाचा हैं। गांव का जवान बूढ़ा बच्चा सब उन्हे चाचा ही कहता है। चाचा हैं भी वाकई सार्वभौम गंवई मान्यता प्राप्त। सबमें घुल मिलकर रहते हैं। यही कारण है कि गांव के कुछ सटीक टिप्पणीकार उन्हें 'आलू' भी कहते हैं। आलू इस सेन्स में कि सब्जी का आलू किसी भी सब्जी के साथ मिक्स होकर फिट बैठ जाता है। ये चाचा भी ऐसे ही है। किसी के भी साथ दूध पानी की तरह घुलमिल जाते हैं और हर किसी से जब चाहे इनकी छनने लगती है। चुनाव आते ही चाचा सुभग नारायण अति प्रासंगिक हो जाते हैं। पंचायत चुनाव में तो पूछना ही क्या। पर इस बार स्थिति भिन्न है। पर्चा दाखिला और वापसी के बीच ही चाचा जब गांव के पूरब टोले से गुजर रहे थे एक नौजवान ने जुमला फेंका का हो चाचा चानी कट ता न भरि चुनाव। हमेशा खुश रहने वाले, हरफनमौला, इस तरह की बातों को भी गरियाते हुए हंसी के फव्वारे में बदल देने वाले चाचा जैसे सहम से गए। सवाल भीतर तक चुभ गया और वे आज के चुनाव की परिस्थितियों पर गौर करने लगे। अबकी का चुनाव उनके जैसे यूनिवर्सल आदमी को भी सीमा में बांध दिया है। प्रत्याशियों की जैसे बाढ़ आ गयी है। प्रधान व बीडीसी के लिए आठ-आठ प्रत्याशी मैदान में हैं। ग्राम पंचायत सदस्य की तो बात ही अलग है। चाचा की परेशानी यह है उनके भतीजे की पत्नी भी चुनाव लड़ रही है। अब वे करे भी तो क्या। सब एक दूसरे से प्रधान बीडीसी का साट लगाए हैं। ऐसे में उनकी स्थिति भी असमंजस की हो गयी है। अब चाचा पलट कर क्या जवाब दें कि अबकी चुनाव में चांदी तो क्या कस्कुट भी नहीं कट रहा है। सबसे बड़ी बात कि उनकी सर्वस्वीकार्यता पर भी प्रश्रन्चिन्ह लग गया है।
खइला पियला से का खुंटवा जगहे पर गड़ाई
गड़वार व फेफना थाना अन्तर्गत स्थानीय क्षेत्र के विभिन्न गांवों में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के मद्देनजर लागू आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को तमाम तरह के प्रलोभन देकर अपने पक्ष में करने का कुटिल कुचक्र किया जा रहा है। दूसरी ओर मतदाता भी अपनी चतुराई दिखाते हुए सभी की जय करने में लगे हैं। इससे प्रत्याशियों में काफी बेचैनी है। सिहांचवर कला, सिहांचवर खुर्द, बहादुरपुर, पक्का कोट, कोपवां, देहलूपुर, जगदीशपुर, पियरिया, सवंरूपुर, जिगनी खास आदि गांवों में आचार संहिता की धज्जियां उड़ाते हुए विभिन्न पदों के प्रत्याशियों द्वारा, विदेशी शराब तथा कच्ची दारू के साथ खाने पीने का इंतजाम कर मतदाताओं को अपने पक्ष में करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं मतदाता सबकी जय कर प्रत्याशियों की नींद हराम फिर हुए हैं। गांवों में प्रत्याशियों की आई बाढ़ से उहापोह की स्थिति है। गांव और क्षेत्र में बुद्धिजीवी मतदाताओं को समझ में नहीं आ रहा कि किस की ओर चला जाय। वे खामोश रह सबको तौलने का काम कर रहे हैं। कुछ मतदाता यह कहने से नहीं चूकते कि खा पीय कतहीं खुंटवा जगहे पर पर गड़ाई। ऐसे मतदाताओं के प्रत्याशी पहले से ही सेट हैं लेकिन खाने-पीने सभी प्रत्याशियों के यहां जाते और उनकी जय कर रहे है।
सावधान : अब समर्थक भी उठा रहे बकरे
सावधान अब प्रत्याशियों के समर्थक बकरे भी उठा रहे है। जी हां ऐसा ही वाकया सलेमपुर ग्राम में घटित हुई है। मंगलवार को चुनाव प्रचार के लिए स्कार्पियों से आये किन्हीं प्रत्याशी के समर्थकों ने यह कारनामा करते हुए सलेमपुर गांव के विशम्भर के दरवाजे पर बंधे दो बकरों को उठा लिया तथा चलते बने। इस घटना की चर्चा जहां पूरे क्षेत्र में जोरों पर है। घटना की सूचना नगरा पुलिस को भी दे दी गयी है।
चुनावी संकट : पिलाते भी वही छुड़ाते भी वही
पंचायत चुनाव के मद्देनजर क्षेत्र में अवैध कच्चे शराब की बिक्री जहां धड़ल्ले से की जा रही है। प्रत्याशियों द्वारा समर्थकों को यह शराब थोक मात्रा में उपलब्ध कराने, पिलाने से लेकर पकड़े जाने पर उनकी जमानत करा थाने से छुड़ाया भी जा रहा है जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। बताते चलें कि छिब्बी ग्राम निवासी एक राजभर जाति के युवक को प्रत्याशियों का शराब पीना तथा शराब साथ ले जाना तब महंगा पड़ा जब उसे पुलिस ने पकड़ लिया किन्तु तत्काल उसे सम्बन्धित प्रत्याशी द्वारा निजी मुचलके पर किसी के माध्यम से पुलिस से मुक्त करा लिया गया।
Saturday, October 2, 2010
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