Friday, September 30, 2011
राजा सूरथ ने बनवाया था शांकरी मंदिर !
शारदीय नवरात्र के मौके पर इन दिनों शंकरपुर की मां भगवती के मंदिर पर श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा सूरथ ने कराया था। यहां की मां भगवती का वर्णन दुर्गा सप्तशती के कवच प्रकरण में 'कर्णमूले तू शांकरी' नाम से आया है। शंकरपुर के समीप होने से शांकरी नाम स्थान विशेष के कारण दे दिया गया है। जिला मुख्यालय से 5 किमी दूर उत्तर दिशा में शंकरपुर-मझौली व बजहा गांव के बीच बलिया-बांसडीह मुख्य मार्ग के किनारे अवस्थित मां भवानी के मंदिर पर दूरदराज से श्रद्धालु आते हैं और उनका दर्शन पूजन कर वांछित मनोकामना की प्राप्ति करते हैं। शास्त्रीय आधार पर जहां तक इस मंदिर की स्थापना का प्रश्न है वह यह कि मार्कण्डेय पुराण के आधार यह राजा सूरथ द्वारा स्थापित किया हुआ सिद्ध होता है। पूर्व काल में स्वारोचिष मन्वन्तर में सूरथ नाम के राजा थे जो चैत्र वंश में उत्पन्न हुए थे। उनका समस्त भूमण्डल पर अधिकार था। उस समय कोला विध्वंशी नाम के क्षत्रिय उनके पुत्र थे। उनका शत्रुओं के साथ संग्राम हुआ जिसमें राजा सूरथ परास्त हो गये। पराजित होने के बाद राजा अपने नगर को लौट गये। वहां भी उनके शत्रुओं ने उन पर धावा बोल दिया। इसी क्रम में उनके मंत्रियों ने उनके साम्राज्य पर आधिपत्य स्थापित कर लिया। सुरथ शिकार खेलने के बहाने जंगल में निकल पड़े। वहां उन्होंने मेधा ऋषि का आश्रम देखा जहां हिंसक जीव भी शांति भाव से रह रहे थे। राजा सूरथ ऋषि के दर्शन के लिए गये और उनको आपबीती सुनाई। ऋषि ने देवी का महात्म्य बताने के साथ ही राजा को देवी की शरण में जाने को कहा। राजा सूरथ एक वैश्य के साथ जगदम्बा के दर्शन के लिए नदी के तट पर रहकर तपस्या करने लगे। तीन वर्षो के बाद चण्डिका देवी ने दर्शन देकर उनकी अभिलाषा को पूरा किया। राजा को उनका साम्राज्य वापस मिल गया। बताते हैं कि राजा ने जहां तपस्या की थी वहां एक नदी बहती थी उसका नाम कष्टहर नाला हुआ जो आज कटहर नाला के नाम से प्रसिद्ध हुआ। राजा ने इस ताल के नजदीक पांच मंदिरों की स्थापना की। जिनमें शंकरपुर का भवानी मंदिर, ब्रह्माइन की ब्रह्माणी देवी, असेगा का शोकहरण नाथ मंदिर, अवनीनाथ का मंदिर और बालखंडी नाथ का मंदिर शामिल है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment