Tuesday, July 27, 2010

सर्पदंश : अंधविश्वास के चक्रव्यूह में फंसी जिन्दगी !

बलिया। बरसात में सर्पदंश की घटनाओं का ग्राफ बढ़ने लगा है। एक सप्ताह की घटनाओं पर नजर डालें तो सर्पदंश के करीब एक दर्जन मरीज सदर अस्पताल पहुंचे जिनकी जान चिकित्सकों द्वारा बचा ली गयी लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि किसी की मौत सर्पदंश से हुई ही नहीं। सूत्र बताते है कि इन घटनाओं में करीब एक दर्जन लोगों को इसलिए नहीं बचाया जा सका क्योंकि उपचार की जगह इन्होंने झाड़-फूंक में भरोसा जताया। इनमें से अधिकतर अमवा की सती माई स्थान अथवा मनियर के रामजीत बाबा स्थान पर ले जाये गये थे। सरकारी अस्पतालों में जाना इन्होंने मुनासिब ही नहीं समझा।

यह विडम्बना ही है कि आज के वैज्ञानिक युग में एक तरफ इंसान जहां चांद पर बसने की कवायद में जुटा है तो दूसरी तरफ इस तरह की घटनाओं के बाद अधिकतर लोग अंधविश्वास के चक्रव्यूह से बाहर नहीं निकल पा रहे है। सर्पदंश की घटनाओं में भी अगर मौत का ग्राफ ऊपर उठ रहा है तो इसके मूल में अंधविश्वास ही मुख्य भूमिका अदा कर रहा है। चिकित्सकों के अनुसार सर्पदंश की घटनाओं में झाड़फूंक की कोई अहमियत नहीं। इसका एक मात्र विकल्प उपचार ही है। इसमें जरा सी चूक जानलेवा साबित हो सकती है। यदि मरीज समय से अस्पताल तक पहुंच जाये तो उसकी जान बचायी जा सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जनपद सहित पूरे इलाके में पाये जाने वाले सांपों में 90 प्रतिशत विष रहित है। केवल 10 प्रतिशत सांपों में ही जहर होता है। ऐसे में यदि सांप विष रहित हो तो उसके काटने से कुछ नहीं होता है।

क्या करे जब सांप डंस ले

=> झाड़-फूंक से बचते हुए सबसे पहले सर्प दंश वाले स्थान से थोड़ा ऊपर रस्सी से मजबूती से बांध दें।

=> उस स्थान पर चीरा लगाते हुए वहां का खून दबाकर निकाल दें ताकि जहर निकल जाये।

=> सर्पदंश वाले स्थान पर पोटैशियम परमैगनेट भर दें।

=> नींद आने की स्थिति में मरीज को कतई सोने न दें।

=> बांधी गयी रस्सी को अस्पताल में चिकित्सक के सामने ही खोलें। यदि अस्पताल बहुत दूर हो तो 45 मिनट बाद 2 मिनट के लिए रस्सी खोल दें फिर बांध दें।

=> जितना जल्द हो सके मरीज को नजदीक के सरकारी अस्पताल में भर्ती करायें।

एंटी-स्नैक इंजेक्शन सरकारी अस्पतालों में प्रचुर मात्रा में

बलिया: जिला चिकित्सालय सहित जनपद के सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सर्पदंश के बाद लगने वाली सूई का पर्याप्त भण्डार है। प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा.एसपी सिंह के अनुसार सदर अस्पताल में वायल एंटी-स्नैक इंजेक्शन की कोई कमी नहीं है। इस क्रम में मुख्य चिकित्साधिकारी डा.सुनील भारती बताते है कि हर पीएचसी और सीएचसी पर उपलब्धता के बाद भी इनका स्टाक सुरक्षित है। उन्होंने बताया कि चूंकि यह सूई बाजारों में नहीं मिलती इसलिए प्रयास यही रहता है कि सरकारी अस्पतालों में इसे प्रचुर मात्रा में रखा जाय ताकि अधिकाधिक मरीजों को इससे लाभान्वित किया जा सके।

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