Tuesday, June 22, 2010

अब सामाजिक विज्ञान अंग्रेजी में पढ़ेंगे यूपी बोर्ड के छात्र !

बलिया । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने की घोषणा से शिक्षा क्षेत्र में एक बहुत बड़ा बदलाव आने की सम्भावना प्रबल हो गयी है। कयास लगाये जा रहे हैं कि इससे सीबीएसई और यूपी बोर्ड के बच्चों के बीच सुपीरियार्टी और इन्फीरियार्टी की खाई पाटने में मदद मिलेगी और यूपी बोर्ड के बच्चों की अंग्रेजी भी प्रवीण होगी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश एजूकेशन बोर्ड ने यह निर्णय लिया है कि वर्तमान सत्र से अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाएगी और इसके लिए स्कूलों को मान्यता देने का कार्य जिले स्तर के अधिकारी जिला विद्यालय निरीक्षक को सौंपा गया है। हालांकि अभी शासन का यह फरमान जिले तक पहुंच नहीं पाया है। इसलिए यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि नये फरमान का मापदण्ड और आधार क्या होगा। जनपद के बहुतेरे विद्यालयों के संचालक अंग्रेजी माध्यम से मान्यता लेने के लिए शासन की चिट्ठी की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

राय बुद्धिजीविओं की : किसी ने सराहा तो किसी ने कहा कि थमेगा हिन्दी का विकास

बलिया: यूपी बोर्ड के विद्यालयों में अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने की पहल को लेकर शिक्षाविदों और बुद्धिजीविओं में अलग-अलग तर्क है। कुछ इसे उचित मानते हैं तो कुछ गलत। सभी का इस विषय पर अलग-अलग तर्क है। रघुनाथ ओझा पूर्व प्राचार्य भाटपार रानी डिग्री कालेज देवरिया का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा से ग्रामीण इलाकों के विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा इससे उनकी अंग्रेजी मजबूत होगी।

प्रदीप तिवारी अध्यापक लक्ष्मी राज देवी इण्टर कालेज बलिया भी इसे शिक्षा विभाग की अच्छी पहल बताते हैं। डा. आशुतोष शुक्ल बताते हैं कि शासन ने यह जो फैसला किया है वह सराहनीय है और इससे यूपी बोर्ड के लड़कों को आज के दौड़ में बराबर दौड़ने का अवसर मिलेगा। कहा कि शिक्षा का अधिकार कानून लागू हो जाने के कारण केन्द्र सरकार की पहल पर अच्छे अध्यापक भी नियुक्त किये जाएंगे। डा.अखिलेश राय ने कहा कि यूपी बोर्ड के इस फैसले से हिन्दी का भारी नुकसान होगा। बच्चों के ऊपर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। श्री राय बताते हैं कि आज जो विद्यालय अपने आप को अंग्रेजी का जनक बताने का दावा करते हैं उनके यहां तो अंग्रेजी का स्तर काफी सतही है तो यूपी बोर्ड की क्या बिसात। कहा कि सिर्फ मान्यता दे देने से विद्यालय का माहौल नहीं बदल सकता इसके लिए काफी तैयारी की आवश्यकता है। यूपी बोर्ड के जिन अध्यापकों को अच्छी हिन्दी नहीं आती उनसे क्या अपेक्षा की जाय कि वे अंग्रेजी पढ़ा सकते हैं।

अभी प्राप्त नहीं हुआ आदेश: शिवजी

बलिया: सीबीएसई की तर्ज पर यूपी बोर्ड के स्कूलों में मान्यता और शिक्षा देने के सवाल पर जिविनि की अनुपस्थिति में कार्यालय के मान्यता लिपिक शिवजी उपाध्याय ने कहा कि अभी शासन से इस बाबत कोई आदेश या पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। अत: इस बाबत कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। विद्यालयों द्वारा अप्रोच किये जाने पर कहा कि एकाध लोग इस बाबत इन्क्वायरी किये हैं पर उन्हे शासनिक पत्र आने तक प्रतीक्षा करने के लिए कहा गया है।

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