Monday, June 21, 2010

मिले संसाधन तो अव्वल होगा बलिया का किसान !

बेरुआरबारी (बलिया)। विद्युत व्यवस्था व सिंचाई के साधन अगर समुचित हो जायं तो अन्य राज्यों से भी अधिक उत्पादन यहां के किसान कर सकते हैं लेकिन व्यवस्था नहीं होने से खेती करने में काफी कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं। उक्त बातें स्थानीय विकास खण्ड के टण्ड़वा निवासी किसान रवीन्द्र नाथ चौबे ने कहीं। लगभग एक एकड़ में श्री चौबे ने मूंग की खेती बेड प्लाटिंग के तहत कर अब तक दो बार तोड़ाई कर चूके हैं। श्री चौबे ने बताया कि इस विधि से खेती करने पर किसानों का खाद, पानी व बीज काफी कम लगता है तथा पैदावार काफी अच्छी होती है। उन्होंने बताया कि अब तक देश व प्रदेश के दर्जनों स्थानों पर जाकर किसानों द्वारा की जा रही नई विधि से खेती का हमने अवलोकन किया। हमारे प्रदेश के किसानों को खेती करने में जो दिक्कतें सामने आ रही है उनमें सबसे ज्यादा विद्युत व पानी की जर्जर व्यवस्था है। दिल्ली, पूसा, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, हिमाचल प्रदेश आदि राज्यों में अधिक पैदावार का मुख्य कारण किसानों का सुविधाओं से लैस होना है। बाहर के किसान जहां संसाधनों से पूर्ण हैं वहीं उनकी विद्युत व्यवस्था भी पूरी तरह चुस्त है। अगर वही व्यवस्था हमारे राज्य में हो जाय तो हम भी पैदावार के मामले में अन्य राज्यों की अपेक्षा देश में पहला स्थान प्राप्त करे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी के सौजन्य से जनपद में प्राकृतिक संसाधन संरक्षण तकनीकी कार्यक्रम के तहत जीरोटिल, बेड प्लाटिंग तथा ट्रैफिक कन्ट्रोल तकनीकी से की जा रही खेती से किसान काफी लाभान्वित हो रहे हैं। बेड प्लाटिंग के तहत मूंग की खेती के बारे में श्री चौबे ने बताया कि इसके दो लाभ हैं एक तो काफी अच्छी पैदावार व दूसरा मूंग पत्ते आदि को हैरो कराकर हरी खाद के रूप में प्रयोग होना तथा इसी में धान की खेती करने से काफी कम लागत में धान की पैदावार भी अच्छी होगी। श्री चौबे ने किसानों को नई तकनीक से खेती कर लाभ उठाने की भी बात कही। अब क्षेत्र के आसपास के गांवों के किसान श्री चौबे के यहां जाकर खेती करने के तरीके सीख रहे हैं तथा इस नई विधि को अपना कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में लगे हैं।

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