Tuesday, June 22, 2010

सुरहा की हसीन वादियों में घुली जहर जमीन में पड़ी दरारे !

बेरुआरबारी (बलिया), निप्र । सुरहाताल की हसीन वादियों में जहां कभी अथाह जल से पूरा सुरहाताल भरा रहता था और उसमें विभिन्न प्रकार के हजारों-हजार की संख्या में पशु पक्षियां विचरण करती थीं। सुबह-सुबह ही उनकी मनमोहक आवाजें सुनकर लोग जग जाते थे। नावों पर सवार मछुवारे अपनी जीविका के लिए सुबह ही मछली पकड़ने निकल पड़ते थे तथा सुरहाताल के किनारे-किनारे हरी हरी घास काटने व गाय भैंस चराने क्षेत्र के सैकड़ों पशुपालक लाया करते थे। इसे देख लगता मानों धरती पर अगर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है। इस वर्ष अवर्षण व भीषण सूखे के चलते पूरा सुरहाताल सूख गया है और धरती पर बड़ी-बड़ी दरारें फट गयी हैं। काले ताल में भी काफी कम पानी हो जाने से मछुवारों के रोजी रोटी पर आफत आन पड़ी है। पशु से लेकर पक्षी तक पानी की तलाश में इधर से उधर भटक रहे हैं। अब तक दर्जनों नील गायें पानी की तलाश में काले ताल के तरफ रूख कीं तो कीचड़ में फंस कर दम तोड़ दीं। पानी के लिए हाहाकार मचा है, भगवान भास्कर भी इसमें सहयोग कर लोगों की जान आफत में डाले हुए हैं। सुरहाताल की धरती पर बड़ी-बड़ी दरारें फट गयी हैं। अब पक्षियों की आवाज सुनने के लिए कान तरस रहे हैं। ग्राम पंचायत शिवपुर की प्रधान श्रीमती ललिता देवी ने लगातार तीन चार दिनों तक गड़ारी नाले में ट्यूबवेल से पारी भरवाकर पशुओं के पीने के लिए व्यवस्था की लेकिन यह भी ऊंट के मुंह के जीरा ही साबित हुआ। धोबी घाट से लेकर हर जगह सूखा ही सूखा है। सुरहाताल में इस महीने धान की रोपाई का कार्य लगभग पूरा हो जाया करता था। और चारों तरफ लहलहाते धान की खेती दिखती थी। आज सूखे की मार से सुरहाताल की हसीन-वादियां चारों तरफ वीरान नजर आ रही हैं।

No comments:

Post a Comment