Monday, June 21, 2010

माननीयों के कृपा पाला नहीं तो गये काम से !

बलिया । यदि आप पिछड़ी जाति के गरीब व मजबूर व्यक्ति हैं तो आपकी पुत्रियों की शादी में सरकार द्वारा दस हजार रुपये देने का प्राविधान है।

ज्ञात हो कि सरकार प्रति वर्ष पिछड़ी जाति के गरीब व कमजोर लोगों की बेटियों के विवाह में दस हजार की धनराशि प्रदान करती है। इसे पाने के लिए संबंधित जन को कितने पापड़ बेलने पड़ते है कहना मुश्किल है। विभाग के तमाम पैतरों को पार करने के बाद भी उसकी पात्रता का पैमाना वहीं आकर अटक जाता है कि वह अपने इलाके के माननीय का कृपा पात्र है या नहीं। यदि नहीं तो सारी पात्रता कूड़े में चली जाती है। पिछड़ी जाति शादी अनुदान योजना की पात्रता की चर्चा करें तो ग्रामीण क्षेत्र में वार्षिक आय 19884 रुपये तथा शहरी क्षेत्र में 25446 रुपये तक के लोग इसकी पात्रता में आते हैं। पर शासन द्वारा पैसा सीमित मात्रा में उपलब्ध कराये जाने के नाते सभी को यह लाभ नहीं मिल पाता। लाभ वही पाते हैं जिनका जुगाड़ अपने विधायक अथवा सांसद तक होता है। अगर नहीं तो गये काम से। हालांकि अनुदान योजना में निराश्रितों, विधवा, विकलांग तथा भूमिहीनों को वरीयता दिये जाने का प्राविधान है पर धरातल पर ऐसा होता नहीं है। अपात्रों को इसका भरपूर लाभ मिल रहा है।

पिछड़ी जाति शादी अनुदान के बाबत जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी डीडी सिंह का कहना है कि शासन द्वारा प्रति पात्र व्यक्ति दस हजार रुपये दिये जाने का प्राविधान तो है पर उतनी धनराशि प्राप्त नहीं हो पाती कि जनपद के सभी आवेदकों को संतृप्त किया जा सके। वर्तमान सत्र के बारे में कहा कि इस वर्ष अब तक 41 लाख रुपये प्राप्त हुए हैं। वितरण के बाबत उनका मत है कि प्रयास होता है कि पहले निराश्रितों विधवा, विकलांग तथा भूमिहीनों को ही लाभ दिया जाए। कहा कि पात्रों को तय करने के लिए 'माननीयों' की कमेटी का गठन किया जाता है।

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