Friday, April 23, 2010

चर्च हादसा : पीड़ितों का कौन पोंछेगा आंसू!

बिल्थरारेाड (बलिया) । बिल्थरारोड तहसील क्षेत्र के उभांव थाना अंतर्गत हरदिया ग्राम में मंगलवार की देर रात्रि हुए चर्च हादसे में एक की मौत व दस मजदूरों के जख्मी होने की घटना के बाद भी प्रशासन पीड़ितों को मुआवजा देने के प्रति गंभीर नहीं दिख रहा। लगभग 4 हजार वर्ग फीट एरिया में करीब 35 लाख रुपये की लागत से चर्च का निर्माण करा रही डिसाइज आफ वाराणसी संस्था ने तो परिजनों को आर्थिक सहायता देने के नाम पर पहले ही चुप्पी साध ली है वहीं प्रशासन ने भी पहले ही विभिन्न विभागीय पेच व घटना को प्राकृतिक आपदा में न होने की बात कह अपना पल्ला झाड़ लिया है। अलबत्ता सत्ता पक्ष के नेताओं ने पीड़ितों के मुआवजा के लिए आवाज जरूर बुलंद की है। बसपा कोआर्डिनेटर छट्ठू राम ने भी जिलाधिकारी से इस संबंध में सार्थक पहल करने का आग्रह किया है जिस पर उन्होंने प्राकृतिक आपदा न होने का हवाला दे मुआवजा हेतु प्रयास करने की सिर्फ हामी भरी है।

मौके पर मौजूद बसपा नेता व पूर्व जिलाध्यक्ष इंदल राम, सतीश चन्द्र धूसिया, बामसेफ अध्यक्ष अवधेश कुमार, विक्रमा मौर्य, विनोद सेहरा, रणजीत भारती, भोला राम, लल्लन राम, ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि विवेक सिंह, कांग्रेस ब्लाक अध्यक्ष व नेहरू युवा मण्डल हल्दीरामपुर अध्यक्ष चन्द्र प्रताप सिंह बिसेन आदि ने भी संबंधित परिवारों को मुआवजा उपलब्ध कराने की मांग की है।

पति के बिना कैसे कटेगे पहाड़ सरीखे दिन

सिकन्दरपुर : क्षेत्र के संत पैट्रिक चर्च हरदिया (कुर्रहा-तेतरा) के निर्माणाधीन प्रार्थना सभागार की छत ध्वस्त होने से उसके मलबे में दब कर मरे मुन्ना का अन्तिम संस्कार परिजनों ने बुधवार को देर शाम कर दिया। भरी जवानी में बेवा हुई मुन्ना की पत्‍‌नी ज्ञान्ती को यह सदमा सता रहा है कि उसके पहाड़ जैसे दिन कैसे कटेगे। उसके बच्चों का क्या होगा। उसकी जिन्दगी में तो आगे अब अंधेरा ही अंधेरा दिखायी दे रहा है। पति के खोने का गम और बच्चों के भविष्य की चिन्ता के बीच वह असहाय सी बनी हुई है। उसके घर सन्नाटा पसरा हुआ है। वह तो दुनिया से गया ही उसके पिता भी गंभीर रूप से घायल हो अस्पताल में इलाज करा रहे हैं। अचानक आयी इस विपत्ति के कारण पूरा परिवार सदमे में है। मुन्ना भी अपने पिता की तरह ही मजदूरी करता था किन्तु वहां नहीं जहां मौत अचानक उसे खींच ले गयी। छत की ढलाई के कारण मुन्ना के पिता मात्र एक दिन के लिए उसे वहां मजदूरी करने के लिए ले गये थे। पिता को क्या पता था कि अपने जिस लाडले को मात्र एक दिन के लिए चर्च पर ले जा रहे है वह ऐसी जगह चला जायेगा जहां से लौट कर कोई वापस नहीं आता। यही हुआ भी मुन्ना तो नहीं वापस घर आया उसकी लाश अवश्य आयी।

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